जातकर्म संस्कार क्या है ? जातकर्म संस्कार की विधि
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सनातन धर्म के 16 संस्कारों में जातकर्म संस्कार का चौथा नंबर आता है जानिए इस संस्कार से जुड़ी विस्तृत जानकारी।
जातकर्म संस्कार क्या है ?
वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भी शिशु का जन्म होने के पश्चात प्रथम बार किए जाने वाले संस्कार को जातकर्म संस्कार के नाम से जाना जाता है। यह संस्कार यह तो शिशु का पिता कर सकता है या गुरु।
जातकर्म संस्कार की विधि
संस्कार करने के लिए सर्वप्रथम यज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा उस यज्ञ की जलती हुई ज्योति को शिशु के समक्ष उतारा जाता है। इस यज्ञ का आयोजन आप किसी भी आचार्य के पास करवा सकते हैं।
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जातकर्म संस्कार कब किया जाता है
यह संस्कार शिशु के जन्म लेते ही किया जाता है यानी कि शिशु के गर्भ के बाहर आने के पहले महीने में यह संस्कार संपन्न होता है।
जातकर्म संस्कार कैसे करते हैं
यज्ञ का आयोजन करके तथा यज्ञ की धूप को शिशु के शरीर पर लगा कर के जातकर्म संस्कार किया जाता है। क्योंकि यज्ञ की हवा से शिशु की आंखें तथा उसका मस्तिष्क तेज गति के साथ विकसित होता है।
जातकर्म संस्कार किस माह में किया जाता है
यह संस्कार शिशु को मां के गर्भ से निकलने के बाद प्रथम महीने में किया जाता है।
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जातकर्म संस्कार का वैदिक महत्व
जात कर्म संस्कार का वैदिक महत्व अति प्राचीन तथा विशिष्ट है। इस संस्कार को संपन्न करने से शिशु में किसी भी प्रकार की शारीरिक तथा मानसिक बीमारियां उत्पन्न नहीं होती है तथा शिशु सदैव निरोगी रहता है। तथा इस संस्कार को संपन्न करवाने से शिशु की आयु में वृद्धि होती है तथा बौद्धिक बल में भी वृद्धि होती है।
Disclaimer: उपर्युक्त संस्कार के बारे में जानकारी हमने विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त करके दी है यदि इसमें किसी प्रकार की कोई तकलीफ होती है तो इसके लिए Gaanvkhabar उत्तरदायी नहीं है।