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नामकरण संस्कार कब करना चाहिए है ? नामकरण संस्कार की विधि

नामकरण संस्कार कब करना चाहिए है ? नामकरण संस्कार की विधि

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हिंदू धर्म के सभी संस्कारों में पांचवें नंबर का संस्कार नामकरण संस्कार के नाम से जाना जाता है जानिए इस संस्कार को कब तथा क्यों किया जाता है।

नामकरण संस्कार कब करना चाहिए है ? नामकरण संस्कार की विधि
नामकरण संस्कार कब करना चाहिए है ? नामकरण संस्कार की विधि

नामकरण संस्कार कब करना चाहिए है ?

बच्चे के जन्म के 11, 12 या 13 वें दिन नामकरण संस्कार करना चाहिए। यदि आप इस दिन किसी कारणवश नामकरण संस्कार नहीं कर पाते हैं तो फिर बच्चे के जन्म के 100 दिन बाद यह संस्कार किया जाता है। बच्चे के जन्म के 10 दिन के अंतराल में कभी भी नामकरण संस्कार नहीं करना चाहिए क्योंकि यह वास्तु शास्त्र के अनुसार अशुभ माना गया है।

नामकरण संस्कार क्या है ?

बच्चे के जन्म के पश्चात वास्तु शास्त्र नियमों को ध्यान में रखकर बच्चे की राशि के अनुसार तथा ग्रह की दशा के अनुसार उसका नाम रखना ही नामकरण संस्कार के नाम से जाना जाता है।

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नामकरण संस्कार की विधि

नामकरण संस्कार करने से पूर्व बच्चे तथा बच्चे की मात्रा सहित सभी उपस्थित जन स्नानादि करके बैठ जाए। तथा पंडित जी से स्वास्थ्य वाचन का पाठ करवाना चाहिए और सभी के हाथों में पुष्प समर्पित करना चाहिए।

सभी इन उसको को ईश्वर के समक्ष अर्पित करते तथा पूजन पाठ पूर्ण होने के बाद में सभी के मोली का धागा बांधना चाहिए। साथ ही मोली के धागे को अभिमंत्रित करने के बाद बच्चे की कमर के बाध दे। क्योंकि इस धागे को सनातन धर्म में रक्षा सूत्र का प्रतीक माना गया है।

इन सब से निवृत होने के बाद पंडित जी से राशि तथा ग्रहों के अनुसार बच्चे का नामकरण कर दे।

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नामकरण संस्कार क्यों किया जाता है ?

नामकरण संस्कार इसलिए किया जाता है क्योंकि यह संस्कार करने से ही बच्चे को इस दुनिया में नई पहचान मिलती हो और उसका नाम ही उसके काम के साथ पहचान बनता है। इसलिए यह संस्कार संपन्न किया जाता है।

Disclaimer:  उपर्युक्त संस्कार के बारे में जानकारी हमने विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त करके लिखीं हैं यदि इसमें किसी प्रकार की कोई त्रुटि होती है तो इसके लिए Gaanvkhabar जवाबदेह नहीं है।

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