पुंसवन संस्कार क्या होता है ? पुंसवन संस्कार की विधि

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पुंसवन संस्कार क्या होता है ? पुंसवन संस्कार की विधि

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पुंसवन संस्कार क्या होता है ?

हिंदू धर्म में पुत्र या पुत्री के जन्म से पूर्व किए जाने वाले संस्कार को पुंसवन संस्कार संस्कार के नाम से जाना जाता है। यह संस्कार जब बच्चा मां के गर्भ में होता है उस दौरान किया जाता है।

पुंसवन संस्कार की विधि

पुंसवन संस्कार की विधि किसी भी बड़े वटवृक्ष की जटाओं को एकत्रित करके उनको बारिश करके किसी भी पात्र के अंदर डालकर गर्भवती महिला को सोचना चाहिए तथा उसे फिर नाक के माध्यम से स्स लेकर इसका आभास करना चाहिए।

पुंसवन संस्कार कब किया जाता है

जब बच्चा मां के गर्भ में 3 महीने का हो जाता है उस दौरान पुंसवन संस्कार किया जाता है। यह संस्कार हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में दूसरे नंबर पर आता है।

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पुंसवन संस्कार कैसे करते हैं

पुंसवन संस्कार जब बच्चा मां के गर्भ में 3 माह का होता है तब किया जाता है इस संस्कार के दौरान बच्चे के आगमन की खुशी के लिए धार्मिक गीतों का गायन किया जाता है।

गर्भ के किस माह में पुंसवन संस्कार किया जाता है

सनातन धर्म यानी कि हिंदू धर्म में गर्भवती महिला के गर्भ में जब बच्चा 3 महीने का होता है जब पुंसवन संस्कार किया जाता है।

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पुंसवन संस्कार का वैदिक महत्व

पुंसवन संस्कार का वैदिक तथा धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। इस संस्कार को संपन्न करने से गर्भवती महिला तथा उसके गर्भ में पलने वाला बच्चा दोनों ही सुरक्षित रहते हैं तथा उन्हें किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं होता है।

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पुंसवन संस्कार का जातक के ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है

पुंसवन संस्कार का जातक के ऊपर बहुत प्रभाव पड़ता है यदि पुंसवन संस्कार नहीं किया जाए तो उत्पन्न होने वाली संतान शारीरिक तथा मानसिक रूप से कमजोर उत्पन्न हो सकती है जबकि इस संस्कार को किया जाए तो जातक की संतान स्वस्थ व बलशाली उत्पन्न होती है।

Disclaimer: उपर्युक्त मुहूर्त विभिन्न धार्मिक ग्रंथों तथा वास्तु शास्त्र के अनुसार लिखा गया है यदि इसमें किसी प्रकार की कोई त्रुटि होती है तो इसके लिए Gaanvkhabar जवाबदेह नहीं होगा।

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