संतान प्राप्ति के योग , Santan Prapti Yog
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संतान प्राप्ति के योग
वास्तु शास्त्र के अनुसार जन्मपत्रिका के पांचवे भाव को संतान प्राप्ति का भाव माना गया है।तथा वास्तु शास्त्र में पांचवी भाव का गुरु यानी कि स्वामी बृहस्पति ग्रह को माना गया है। तथा दूसरे भाव को परिवार का भाव माना गया है।
इसलिए संतान प्राप्ति के लिए पंचम भाव में राहु तथा केतु का संबंध नहीं होना चाहिए।
संतान प्राप्ति के लिए पुरुष तथा स्त्री दोनों की जन्म कुंडली का मिलान करना आवश्यक होता है।
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संतान प्राप्ति किस कारण से नहीं होती है।
यदि पुरुष की जन्म कुंडली में शुक्र राहु तथा शनि के बीच में फंसा हुआ हो तो ये संतान प्राप्ति के लिए बाधा का कार्य करता है।
स्त्री की जन्म कुंडली में चंद्र तथा मंगल का होना संतान प्राप्ति के लिए आवश्यक होता है। लेकिन ध्यान रहे यह दोनों ही नीच स्थिति में नहीं होने चाहिए।
स्त्री के गर्भाशय में समस्या क्यों होती है
यदि किसी भी स्त्री के गर्भाशय में कोई भी समस्या उत्पन्न होती है तो इसके लिए केतु जिम्मेदार होता है। लेकिन वास्तुशास्त्र के अंदर अनेक ऐसे उपाय हैं जिनके द्वारा गर्भाशय से संबंधित समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
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संतान प्राप्ति के लिए किस की आराधना करें
संतान प्राप्ति के लिए बृहस्पति ग्रह के स्वामी यानी कि भगवान विष्णु की आराधना करना श्रेष्ठ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि लगातार 21 दिन भगवान विष्णु की आराधना करके संतान प्राप्ति की जा सकती है।
Disclaimer: उपयुक्त योग हमारे द्वारा विभिन्न स्त्रोतों के माध्यम से प्राप्त करके लिखे गए हैं यदि इसमें किसी प्रकार की कोई त्रुटि होती है तो इसके लिए Gaanvkhabar उत्तरदायी नहीं है।