निष्क्रमण संस्कार कैसे किया जाता है ? निष्क्रमण संस्कार क्या है ?
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सनातन धर्म के 16 संस्कारों में छठे नंबर का संस्कार है निष्क्रमण संस्कार जिसके बारे में विस्तृत जानकारी जानिए इस लेख में।
निष्क्रमण संस्कार कैसे किया जाता है ?
निष्क्रमण संस्कार के दौरान शिशु को प्रसूति के घर से बाहर निकाल कर सूर्य, वायु तथा आकाश के दर्शन करवाए जाते हैं और इस तरह ही यह संस्कार किया जाता है।
निष्क्रमण संस्कार क्या है ?
सनातन धर्म के अनुसार किसी भी मनुष्य का निर्माण पांच तत्वों से मिलकर होता है जो निम्न है- पृथ्वी, आकाश ,जल, अग्नि तथा वायु। इन पांचों ही तत्वों की मनुष्य के शरीर में मात्रा सही रूप में बनी रहे तथा इनकी उसके जीवन में कभी कोई कमी नहीं हो इसलिए यह संस्कार किया जाता है।
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निष्क्रमण संस्कार की विधि
वास्तु शास्त्र के विभिन्न मंत्रोच्चारण के साथ निष्क्रमण संस्कार की विधि संपन्न करवाई जाती है। इस संस्कार को पूर्ण करवाने के लिए आप किसी भी अच्छे पंडित जी को अपने घर बुलाकर इसे संपन्न करवा सकते हैं।
निष्क्रमण संस्कार का वैदिक महत्व विशेष है इस संस्कार को संपन्न करवाने से उत्पन्न होने वाले शिशु को कभी भी अपने जीवन में पंच तत्वों की कमी से नहीं जूझना पड़ता है।
निष्क्रमण संस्कार कब किया जाता है
यह संस्कार शिशु के जन्म के उपरांत चौथे से छठे महीने के मध्य किया जाता है। वैसे यह संस्कार संपन्न करने के लिए सबसे उपयुक्त समय शिशु के जन्म के 6 महीने के बाद का माना गया है।
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Disclaimer: उपर्युक्त संस्कार के बारे में जानकारी हमने विभिन्न वास्तु शास्त्र ओं के माध्यम से प्राप्त करके लिखी है यदि इसमें किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि होती है तो इसके लिए Gaanvkhabar जवाबदेह नहीं होगा।