सर्प मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि
वर्तमान दौर में रुद्राक्ष को साक्षात भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है इस लेख में जानिए सर्प मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि तथा सर्प मुखी रुद्राक्ष को किस नाम से जाना जाता है ? और सर्प मुखी रुद्राक्ष धारण करने से क्या होता है ?
सर्प मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि
सर्प मुखी रुद्राक्ष के ऊपर सर्प की आकृति उभरी हुई होती है यह एक विशेष प्रकार का रुद्राक्ष होता है। जिसे नाग पंचमी यानी कि श्रावण कृष्ण पंचमी के दिन धारण करना ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ होता है।
इस रुद्राक्ष को नाग पंचमी के दिन प्रातः काल के समय सूर्योदय से पूर्व स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर धारण करना चाहिए। सर्प मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से जिन लोगों के सपने में सर्प दिखाई देता है उनको इस समस्या से छुटकारा मिलता है।
सर्प मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति के ऊपर भगवान शिव , भगवान विष्णु तथा भगवान कृष्ण की अपार कृपा दृष्टि होती है। क्योंकि कहीं ना कहीं इन तीनों ही देवताओं का सर्प से विशेष लगाव है।
यह भी जानें सात मुखी रुद्राक्ष धारण विधि | 7 Mukhi Rudraksha Dharan Vidhi
इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले जातकों को कभी भी सर्प काटने से संबंधित तथा सर्प के सपने में आने से संबंधित और कालसर्प दोष से संबंधित समस्याओं से छुटकारा प्राप्त होता है।
सर्प मुखी रुद्राक्ष को किस नाम से जाना जाता है ?
सर्प मुखी रुद्राक्ष को नागफनी रुद्राक्ष के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस रुद्राक्ष को भगवान विष्णु तथा कृष्ण का पर्याय माना जाता है और उनके ऊपर नाग अपने फन से छांव तथा विशेष शक्तियां ईश्वर में निहित करता है इसलिए इसे नागफनी रुद्राक्ष के नाम से भी जाना जाता है।
सर्प मुखी रुद्राक्ष धारण करने से क्या होता है ?
सर्प मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को काला सर्प दोषों से मुक्ति मिलती है तथा इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले जातकों के ऊपर नाग देवता की कृपा दृष्टि बनी रहती है।