जांघ बार-बार फड़कने का अर्थ
जांघ बार-बार फड़कने का अर्थ तथा जांघ बार-बार फड़कने का अर्थ क्या होता है और जांघ का फड़कना शुभ है या अशुभ तथा जांघ किस कारण से फड़कती है ?
जांघ बार-बार फड़कने का अर्थ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जांघ बार-बार फड़कने का अर्थ अलग अलग होता है क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में स्त्री की दाई जांघ को फड़कना शुभ माना जाता है जबकि पुरुष की बाईं जांघ का फड़कना शुभ माना जाता है।
जांघ का फड़कना शुभ और अशुभ दोनों ही होता है। सामुद्रिक शास्त्र में जांघ फड़कने का उल्लेख दिया गया है जिस से ज्ञात होता है कि इसके अनुसार स्त्री की बाई जांघ फड़कना शुभ होता है जबकि पुरुष की दाहिनी जांघ का फड़कना शुभ माना जाता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि स्त्री और पुरुष दोनों की दाई जांघ फड़कती है तो शुभ होती है किंतु यदि बाई जांघ फड़कती है तो इसे वास्तु शास्त्र में अशुभ माना जाता है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स् की दाहिनी जांघ का फड़कना शुभ होता है लेकिन यदि किसी कारणवश स्त्री की दाहिनी जांघ फड़कती है तो इसे ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना जाता है और यह विनाश का संकेत होती है।
जबकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुरुष की बांयी जांघ फड़कना शुभ होता है लेकिन यदि किसी कारणवश पुरुष की दाहिनी जांघ फड़कती है तो इसे ज्योतिष शास्त्र में अनुकूल नहीं माना जाता है क्योंकि यह प्रतिकूल परिणाम देती है।
सामान्यतया शरीर का प्रत्येक अंग सामान्य प्रक्रिया के अनुसार फड़कता है और शरीर के अंगों के फड़कने की क्रिया एक सामान्य क्रिया है जो कि रक्तचाप होने से होता है।
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यदि किसी स्त्री की दोनों जांघ एक साथ फड़कती है तो यह उस स्त्री के लिए सौभाग्य का प्रतीक होती है क्योंकि इससे स्त्री के आने वाले भविष्य में खुशहाली का आगमन होता है तथा उसके जीवन से कष्टों का निकास होता है।
पुरुष की दोनों जांघें एक साथ फड़कना प्रतिकूल असर डालती है ऐसा होने से पुरुष का स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है और मानसिक तनाव भी बढ़ सकता है इसलिए यदि ऐसा लगातार हो रहा है तो किसी अच्छे चिकित्सक को बताना चाहिए।