गौरी पाठ रुद्राक्ष धारण करने की विधि
रुद्राक्ष का सामान्य अर्थ होता है परिवर्तन यानी कि व्यक्ति के मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य में परिवर्तन। जानिए गौरी पाठ रुद्राक्ष धारण करने की विधि
गौरी पाठ रुद्राक्ष धारण करने की विधि
गौरी पाठ रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। इस रुद्राक्ष को सोमवार के दिन धारण करना चाहिए क्योंकि सोमवार के दिन भगवान शिव का प्रभाव अधिक होता है और इसे इस दिन धारण करने से यह अच्छी तरह से व्यक्ति के कार्य सफल बनाता है।
गौरी पाठ रुद्राक्ष सोमवार के दिन के अतिरिक्त महाशिवरात्रि यानी कि फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी के दिन भी धारण किया जा सकता है इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले जातक को धारण करते समय अपना मुंह उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।
उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर जो व्यक्ति गौरी पाठ रुद्राक्ष को धारण करता है उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है तथा भगवान शिव और माता गौरी की कृपा उसके ऊपर बरसने लगती है।
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गौरी पाठ रुद्राक्ष को धारण करते समय भगवान शिव के महामंत्र का जाप करना चाहिए इससे इस रुद्राक्ष की शक्ति में वृद्धि होती है और जो जातक इसे पहनता है उसके बिगड़े कार्य शीघ्र ही बनने लगते हैं।
इस रुद्राक्ष को पहनने से ज्यादा फायदा उन लोगों का होता है जो लोग तकनीकी क्षेत्र के अंदर कार्य करते हैं यदि ऐसे लोग इस रुद्राक्ष को धारण करते हैं तो उनको सफलता मिलने की संभावना भी अधिक होती है और कार्य में प्रगति के योग भी बनते हैं।
गौरी पाठ रुद्राक्ष को धारण करते समय माता पार्वती का ध्यान अवश्य करना चाहिए साथ ही भगवान शिव तथा उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय का भी ध्यान करना चाहिए।
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हो सके तो इस रुद्राक्ष को धारण करते समय भगवान शिव की उत्तर दिशा की ओर सपरिवार तस्वीर लगाना चाहिए और उस तस्वीर के सामने प्रणाम करते हुए इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।
इस विधि से इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है तथा जीवन से कष्ट दूर होते हैं और जीवन खुशहाली से परिपूर्ण और सुखमय हो जाता है।