गाय की पूजा किस दिन की जाती है ?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गाय पालने से घर में देवताओं का निवास होता है तथा नकारात्मक ऊर्जा का विनाश होता है इसलिए जानिए गाय की पूजा किस दिन की जाती है ?
गाय की पूजा किस दिन की जाती है ?
गाय को सनातन धर्म में माता का दर्जा दिया गया है और माता के समान ही गाय की पूजा की जाती है। वत्स द्वादशी (वैदिक दनु द्वादशी) के दिन पूरे भारत में गाय की पूजा की जाती है इस दिन को बच्छ बारस के नाम से भी जाना जाता है।
वत्स द्वादशी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन आती है इस दिन गाय तथा बछड़े दोनों की पूजा की जाती है। महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए इस दिन गाय की पूजा अर्चना करती है।
वत्स द्वादशी का व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन दूध से बने उत्पाद एवं चाकू से कटी हुई वस्तुएं काम में नहीं लेती है। वत्स द्वादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व गाय को हरा चारा खिलाने से कष्ट दूर होते हैं।
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इस दिन भारत के प्रत्येक गांव में गाय तथा बछड़े दोनों की पूजा अर्चना की जाती है और महिलाएं अपनी संतान के निरोगी और लंबी उम्र के लिए इस दिन का व्रत करती है।
गाय की पूजा करने का उतना ही महत्व होता है जितना कि ईश्वर की पूजा करने का महत्व होता है क्योंकि गाय के अंदर समस्त हिंदू देवी देवताओं का निवास होता है। और गाय की पूजा करने पर उन सभी देवी देवताओं की पूजा भी स्वत: ही हो जाती है।
सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा और विष्णु तथा महेश का निवास भी गाय के अंदर होता है। वत्स द्वादशी के दिन गाय की पूजा करते समय गाय को गुड़ अवश्य खिलाना चाहिए इससे सभी बाधाएं दूर होती है।
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वैदिक धेनु द्वादशी का दिन गाय की पूजा करने के लिए सबसे अच्छा होता है इस दिन गाय को अनेक प्रकार के पकवान इत्यादि खिलाए जाते हैं और गाय पर वस्त्र इत्यादि चढ़ाए जाते हैं।