राजस्थान की प्रमुख फडे़/फड़ लोक कला राजस्थान
राजस्थान की प्रमुख फडे़/फड़ लोक कला राजस्थान , देवनारायण जी की फड़ , पाबूजी की फड़ , रामदेव जी की फड़ , गोगाजी की फड़ , मेंसासुर की फड़ , रामदला व कृष्णदला की फड़।
राजस्थान की प्रमुख फडे़/फड़ लोक कला राजस्थान
कपड़े के ऊपर लोक देवताओं की वीरता की गाथाएं उकेरना फड़ चित्रण अथवा फड़ लोक कला के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान में मुख्य रूप से भीलवाड़ा जिले की प्रसिद्ध है। इस कला के प्रमुख कलाकार भीलवाड़ा के निवासी नथमल जोशी थे। जिन्हें इसके लिए पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया था। राजस्थान की प्रमुख फड़ो का विवरण निम्नानुसार है-
देवनारायण जी की फड़- इसका वाचन बगड़ावत के भोपो द्वारा जंतर वाद्य यंत्र के साथ किया जाता है। यह राजस्थान की सबसे प्राचीन, सबसे लंबी और सबसे छोटी फड़ है। इस फड़ पर 1992 में ₹5 का डाक टिकट जारी हुआ था तथा इसके ऊपर काले रंग से सर्प का चित्र बना हुआ है।
पाबूजी की फड़- यह राजस्थान की सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध फड़ है। इसका वाचन रावण हत्था वाद्य यंत्र के साथ नाईक/रेबारी/रायका जाति के भोंपों व भोपण केेे द्वारा किया जाता है।
रामदेव जी की फड़- इस फड़ का वाचन कामड़ जाति के भोंपों द्वारा रावण हत्था वाद्य यंत्र के साथ किया जाता है।
गोगाजी की फड़- इस फड़ का वाचन गोगाजी के भक्तों द्वारा डेरु वाद्य यंत्र के साथ किया जाता है।
मेंसासुर की फड़- मेंसासुर की फड़ का वाचन नहीं होता है। ऐसा कहा जाता है कि बावरी जाति के लोग चोरी करने से पहले इसकी पूजा अर्चना करते हैं।
रामदला व कृष्णदला की फड़- यह राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र की प्रसिद्ध है। इनका वाचन भाट जाति के भोंपों द्वारा किया जाता है। इन फंडों का वाचन दिन में बिना वाद्य यंत्र के किया जाता है।