मार्गशीर्ष महीने का महत्व
मार्गशीर्ष महीने का महत्व तथा मार्गशीर्ष महीने में क्या करना चाहिए और मार्गशीर्ष महीने में क्या नहीं करना चाहिए तथा मार्गशीर्ष महीने में किस की आराधना करनी चाहिए ?
मार्गशीर्ष महीने का महत्व
हिंदू पंचांग का नौवां महीना मार्गशीर्ष महीने के नाम से भी जाना जाता है इसके अलावा इस महीने को अघनमास के नाम से भी जाना जाता है। इस महीने को साक्षात भगवान कृष्ण का स्वरूप माना जाता है जिसका उल्लेख भागवत गीता में भी मिलता है।
इस महीने का नामकरण मृगशिरा नक्षत्र को ध्यान में रखते हुए किया गया है इसलिए ही इस महीने को मार्गशीर्ष महीने के नाम से जाना जाता है। यह महीना भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप होता है इसलिए इस महीने को श्रद्धा और भक्ति का पर्याय भी माना जाता है ।
मार्गशीर्ष महीने में स्नान करने का विशेष महत्व होता है इस महीने में यदि कोई व्यक्ति यमुना में स्नान करता है तो उस व्यक्ति को साक्षात भगवान श्री कृष्ण से मिलने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
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मार्गशीर्ष माह में व्यक्ति यदि प्रतिदिन अपने स्नान के जल में तुलसी का पत्ता डालकर स्नान करता है तो ऐसा करने से भी भगवान कृष्ण तथा राधा की कृपा बरसने लगती है।
मार्गशीर्ष के महीने में ओम नमो नारायण मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के कष्ट तथा दोष दूर होते हैं इसके अलावा इस महीने में गायत्री मंत्र का पाठ करने से व्यक्ति को धन संपदा की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष महीने में संघ की पूजा करने का विशेष महत्व होता है इस महीने में जो भी जातक शंख की पूजा करता है उस जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है तथा शंख की पूजा करने वाले जातक का मानसिक तनाव भी कम होता है और उस जातक में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है ।
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मार्गशीर्ष महीने में भगवान कृष्ण तथा भगवान राधा के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से अमुक फल की प्राप्ति होती है।
भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने तथा भगवान कृष्ण से अपनी हर बात मनवाने के लिए मार्गशीर्ष महीने में व्रत धारण करना चाहिए ऐसा करने से इस महीने में भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं सुनते हैं।
मार्गशीर्ष माह में प्रतिदिन भागवत गीता का पाठ करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार की कोई भी कठिनाई नहीं आती है तथा ऐसे व्यक्ति का जीवन सुखी और संपन्न में रहता है तथा ऐसे व्यक्ति को संसारिकता के लोभ से भी मुक्ति मिलती है।
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स्कंद पुराण के अनुसार इस महीने में व्रत धारण करने का विशेष महत्व होता है क्योंकि जो भी स्त्री या पुरुष इस महीने में व्रत धारण करते हैं उनसे भगवान श्री कृष्ण और राधा प्रसन्न होती है।
मार्गशीर्ष माह में संध्या के समय प्रतिदिन राधा और कृष्ण की पूजा आराधना करने से और सूर्य अस्त होने के बाद इनकी तस्वीर के सामने दीपक जलाने से व्यक्ति को सभी प्रकार के तनाव से मुक्ति मिलती है।
इस महीने में किसी भी नदी तालाब अन्यथा कुएं के जल से स्नान करना चाहिए और दान पुण्य भी करना चाहिए क्योंकि यह सब करने वाले जातक के जीवन में कोई कठिनाई नहीं आती है।
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मार्गशीर्ष का महीना प्रेमी जोड़ों के लिए बहुत ही श्रेष्ठ महीना माना जाता है क्योंकि यह महीना भगवान कृष्ण तथा माता राधा का स्वरूप होता है और इस महीने में जो भी प्रेमी जोड़ा भगवान राधा और कृष्ण की आराधना करता है उस प्रेमी जोड़े का प्रेम संबंध मजबूत होता है।
मार्गशीर्ष के महीने में व्यक्ति को कभी भी किसी को भी सत्य वचन नहीं बोलने चाहिए तथा किसी व्यक्ति का अपनी बात से दिल नहीं दुखाना चाहिए और इस महीने में किसी भी प्रकार की जीव हत्या नहीं करनी चाहिए तथा इस महीने में शाहाकारी बने रहने की कोशिश करनी चाहिए।