भाद्रपद माह का महत्व , भादो मास का महत्व

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भाद्रपद माह का महत्व , भादो मास का महत्व

भाद्रपद माह का महत्व , भादो मास का महत्व तथा भाद्रपद माह में क्या नहीं करना चाहिए और भाद्रपद माह में क्या करना चाहिए ?

भाद्रपद माह का महत्व , भादो मास का महत्व
भाद्रपद माह का महत्व , भादो मास का महत्व

भाद्रपद माह का महत्व , भादो मास का महत्व

हिंदू कैलेंडर के छठे महीने को भाद्रपद माह के नाम से जाना जाता है। यह महीना पूर्ण रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है तथा इस महीने का मतलब होता है अच्छा परिणाम देने वाला महीना।

इस महीने में अनेक प्रकार के व्रत तथा त्योहारों की भरमार रहती है तथा इस महीने को भादो मास के नाम से भी जाना जाता है इस महीने में ही ऋतु परिवर्तन हूं भी होता है तथा इस महीने से ही शरद ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है।

भाद्रपद माह का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इस माह में ही भगवान गणेश का जन्म उत्सव मनाया जाता है तथा भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कष्ण का जन्मोत्सव भी इस माह में ही मनाया जाता है जिसे जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है।

भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अजय एकादशी के दिन राजा हरिश्चंद्र को अपना राज्य उन्हें प्राप्त हुआ था ऐसा पौराणिक ग्रंथों में लिखा हुआ मिलता है। तथा अजय एकादशी के दिन व्रत करने से उतने ही फल की प्राप्ति होती है जितने की गोदान करने से फल की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन का व्रत अवश्य करना चाहिए।

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में परिवर्तन एकादशी का आगमन होता है और इसी पक्ष में राधा अष्टमी का पर्व भी मनाया जाता है तथा शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से ही श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होती है।

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भाद्रपद माह के दौरान भागवत कथा सुनने तथा नदियों के अंदर स्नान करने और किसी भी प्रकार का दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और इसका महत्व भी विशेष होता है।

भाद्रपद का महीना इन जातकों के लिए अच्छा होता है जिन जातकों को अपनी गलतियों का दुख होता है और वे इनको प्रायश्चित करना चाहते हैं तो ऐसे जातकों को भाद्रपद माह में पड़ने वाले सभी व्रत तथा त्यौहार के दिन ईश्वर की आराधना करनी चाहिए।

भाद्रपद माह में भगवान कृष्ण तथा भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करने का विशेष महत्व होता है।

भाद्रपद माह में अपनी इच्छा अनुसार दान करना चाहिए और इस महीने में गौ सेवा भी करनी चाहिए इसके साथ ही माता-पिता को भाद्रपद माह में प्रतिदिन प्रणाम करना चाहिए ऐसा करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है।

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भाद्रपद माह के अंदर नारियल के तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए इसके अतिरिक्त इस महीने में लहसुन का सेवन भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इन सब का सेवन करना इस महीने में वर्जित होता है।

प्याज और बैंगन को भी खाने से भाद्रपद के माह में परहेज रखनी चाहिए और इस महीने में किसी भी व्यक्ति को असत्य नहीं बोलना चाहिए तथा अपने मुंह से अपने शत्रु को भी कड़वे वचन नहीं कहने चाहिए।

भाद्रपद माह है व्यक्ति के सभी प्रकार के पापों से मुक्त होने का प्रतीक होता है इसलिए यदि कोई अपने सभी प्रकार के पापों का प्रायश्चित करना चाहता है तो उस व्यक्ति को इस महीने के अंतर्गत आने वाले सभी व्रत धारण करनी चाहिए और भगवान की आराधना तन मन धन से करनी चाहिए।

ईश्वर की आराधना करने की दृष्टि से और भगवान विष्णु की मुख्य रूप से आराधना करने की दृष्टि से भाद्रपद मास है एक विशेष माहे होता है और इस माहौल से भगवान विष्णु को विशेष लगाव भी होता है क्योंकि इसी महीने के अंदर भगवान कृष्ण के अवतार के रूप में भगवान विष्णु धरती पर आए थे।

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