संत रामानंद जी का जीवन परिचय 2024 | इतिहास
संत रामानंद जी का जीवन परिचय 2024 | इतिहास , संत रामानंद जी ने कौन सा मत दिया ? , उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन का जनक किसे माना जाता है ?
संत रामानंद जी का जीवन परिचय 2024 | इतिहास
संत रामानंद जी ने विशिष्टाद्वैतवाद का मत दिया था। इनके कुल 12 शिष्य हुए थे। जिनमें दो महिला शिष्याएं पद्मावती तथा सुरसुरी है। इन्होंने रामानंदी संप्रदाय चलाया था जिसकी भारत में कुल 36 पीठ है।
रामानंदी संप्रदाय का प्राचीन केंद्र पंचगंगा घाट उत्तर प्रदेश में है। संत रामानंद के उपदेश हिंदी भाषा में है। रामानंदी संप्रदाय की मुख्य पीठ राजस्थान में गलता तीर्थ (जयपुर) है। यहां कृष्णदास पयहरी ने इस पीठ की स्थापना वाक् युद्ध में योगी चतुरनाथ को पराजित कर की थी।
आमेर के शासक पृथ्वीराज कछुआ के काल में गलता में रामानंदी संप्रदाय की स्थापना हुई। गलता तीर्थ गालव ऋषि की तपो भूमि रहा है। इसे उत्तर तोताद्री भी कहा जाता है। गलता तीर्थ को राजस्थान की काशी और मंकी वैली (बंदरो की घाटी) कहा जाता है। यह स्थान प्राचीन सूर्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
रसिक संप्रदाय रामानंदी संप्रदाय की एक शाखा है। इस संप्रदाय की मुख्य पीठ रैवासा सीकर में है। इसके प्रवर्तक संत अग्रदास जी थे। इनकी प्रमुख रचना ध्यान मंजरी हैं।अग्रदास जी अग्र अली के नाम से साहित्य लिखते थे।
अग्रदास जी के शिष्य नाभादास जी हुए जिनकी प्रसिद्ध रचना भक्तमाला है। रामानंदी संप्रदाय को संरक्षण जयपुर के कच्छवाहा राजवंश ने दिया था। सवाई जयसिंह के काल में कृष्ण भट्ट कलानिधि ने रामानंदी संप्रदाय पर रामरासा ग्रंथ लिखा था। और यह ग्रंथ काफी लोकप्रिय हुआ था।
उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन का जनक किसे माना जाता है ?
उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन का जनक संत रामानंद जी को माना जाता है। इनके संबंध में कहा गया है कि भक्ति उपजी द्रविड, उत्तर लाये रामानंद।