संत मावजी का जीवन परिचय 2024 | इतिहास
संत मावजी का जीवन परिचय 2024 | इतिहास , संत मावजी का जन्म कब और कहां हुआ था ? , संत मावजी के माता-पिता का क्या नाम है ? , संत मावजी के गुरु कौन थे ?

संत मावजी का जीवन परिचय 2024 | इतिहास
वागड़ क्षेत्र में संत मावजी को उनके अनुयायी विष्णु के दसवे अवतार यानी कि कलकी अवतार के रूप में पूजते हैं। इन्हें वागड़ का धणी और धोरी भी कहा जाता है।
संत मावजी राजस्थान के डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा जिले में मुख्य रूपसे लोकप्रिय है। इन दोनों ही जिलों में उनके लाखों अनुयायी है।
संत मावजी का जन्म कब और कहां हुआ था ?
संत मावजी स्वयं को श्री कृष्ण का निष्कलंकी अवतार मानते हैं। इनका जन्म सावला गांव डूंगरपुर में हुआ था। इनके पिता का नाम दालिम ऋषि और माता का नाम केसर बाई था।
संत मावजी की तपोस्थली के रूप में सुन्नैया पर्वत प्रसिद्ध है। इन्होंने निष्कलंकी संप्रदाय चलाया था। इस संप्रदाय की मुख्य पीठ सावला गांव डूंगरपुर में है।
संत मावजी ने चोपड़ा नामक ग्रंथ की रचना की थी इस ग्रंथ में संत मावजी द्वारा वागडी बोली में भविष्य वानीचा की गई है। इस ग्रंथ में संत मावजी ने तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी की है।
वागड़ क्षेत्र में मकर संक्रांति पर संत मावजी द्वारा रचित चोपड़ा ग्रंथ की पूजा होती है तथा दीपावली पर चोपड़ा ग्रंथ के दर्शन किए जाते हैं। चोपड़ा ग्रंथ वागडी बोली में लिखा हुआ है तथा संत मावजी के उपदेश भी इसी बोली में है।
चोपड़ा ग्रंथके पांच भाग है जो निम्न है- प्रेम सागर, अनन्त सागर, रतन सागर, मेध सागर तथा साम सागर इन सभी भागों की रचना संत मावजी ने की थी।
संत मावजी के गुरु कौन थे ?
संत मावजी के गुरु सहजानंद जी थे। उनके सानिध्य में ही संत मावजी की दीक्षा पूरी हुई थी।