शनि जयंती की पूजा विधि | Shani Jayanti Ki Puja Vidhi
जानिए शनि जयंती की पूजा विधि | Shani Jayanti Ki Puja Vidhi तथा शनि जयंती कब और क्यों मनाई जाती है ? से संबंधित जानकारी।
शनि जयंती की पूजा विधि | Shani Jayanti Ki Puja Vidhi
- हिंदू धर्म में भगवान शनिदेव का विशेष महत्व है और शनिदेव को कर्मों के फल दाता के रूप में पूजा जाता है।
- शनि जयंती के दिन भगवान शनि देव की पूजा आराधना करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाना चाहिए इसके बाद में भगवान सूर्य देव को अर्क देना चाहिए।
- और ओम सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए तथा इसके बाद में भगवान शनिदेव का ध्यान करना चाहिए और शनि महामंत्र का जाप करना चाहिए।
- इसके बाद में अपने आसपास में स्थित भगवान शनिदेव के मंदिर में जाना चाहिए और शनिदेव की पूजा आराधना करनी चाहिए और भगवान शनिदेव को काले पुष्प अर्पित करने चाहिए।
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- काली पुष्प अर्पित करने के साथ ही काली उड़द की दाल का भोग भी भगवान शनि दव को शनि जयंती के दिन लगाना चाहिए ऐसा करने से साढ़ेसाती का दोष दूर होता है।
- शनि जयंती के दिन भगवान शनिदेव की पूजा करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आप शनिदेव को जिस पात्र में जल चढ़ाते हैं वह पात्र तांबे का या पीतल का नहीं होना चाहिए क्योंकि शनि देव को लोहे के पात्र में जल चढ़ाना उत्तम होता है।
- इसलिए शनि जयंती के दिन भगवान शनि देव को लोहे के पात्र से जलाभिषेक करवाना चाहिए और सरसों का तेल एक लोहे की कटोरी में रखकर उसमें दीपक प्रज्वलित करना चाहिए ऐसा करने से आपके व्यापार तथा व्यवसाय के ऊपर पड़ने वाली बुरी नजर का असर कम होता है।
- अंत में भगवान शनिदेव को गुड़ तथा काली उड़द का भोग लगाकर शनि चालीसा का पाठ करने के उपरांत शनिदेव के 21 परिक्रमा करके अपनी पूजा विधि को संपन्न करना चाहिए।
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- इस तरह से शनि जयंती के दिन भगवान शनिदेव की पूजा आराधना करने वाले सभी भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उनके जीवन में उत्पन्न अनेक प्रकार के कष्टों से भी उनको मुक्ति मिलती है और शनिदेव उनसे प्रसन्न होते हैं।
शनि जयंती कब और क्यों मनाई जाती है ?
प्रतिवर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर्ष और उल्लास के साथ ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। क्योंकि इस दिन भगवान शनिदेव का जन्म हुआ था इसलिए भगवान शनिदेव के जन्मोत्सव के रूप में शनि जयंती का पर्व संपूर्ण भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
शनि जयंती कौन से महीने में आती है ?
शनि जयंती ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को आती है। यह महिना भगवान सूर्य देव, भगवान शनि देव तथा ब्रह्मा जी का अति प्रिय महीना है। इस महीने में पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करने से और उनको दाना डालने से भी कष्ट दूर होते हैं।
शनि जयंती पर क्या नहीं करना चाहिए ?
शनि जयंती पर भगवान शनि देव को तांबे तथा पीतल के पात्र से जल अर्पण नहीं करना चाहिए और शनि जयंती के दिन भगवान शनि देव को लाल तथा पीले रंग के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए।
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शनि जयंती के दिन भूलकर भी भगवान शनिदेव को घी का दीपक नहीं जलाना चाहिए और भगवान शनिदेव की पूजा अर्चना करते समय लाल तथा पीले वस्त्र नहीं पहनना चाहिए।
शनि जयंती पर किस का दान करना चाहिए ?
शनि जयंती पर लोहे से निर्मित वस्तु तथ काले रंग के वस्त्रों का दान करना चाहिए क्योंकि भगवान शनिदेव को लोहे से निर्मित वस्तुएं और काले रंग के वस्त्र अत्याधिक प्रिय होते हैं। इसके अतिरिक्त शनि जयंती के दिन यदि काले तिल और काली उड़द का दान किया जाए तो यह भी सर्वोत्तम होता है।