संत पीपा जी का जीवन परिचय 2024 | दर्जी संप्रदाय | इतिहास
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संत पीपा जी का जीवन परिचय 2024 | दर्जी संप्रदाय | इतिहास
संत पीपा को दर्जी समुदाय का आराध्य देवता माना जाता है। तथा इन्हें राजस्थान में भक्ति आंदोलन का प्रथम संत माना जाता है। इनका जन्म 1425 ईस्वी में चैत्र पूर्णिमा के दिन गागरोन दुर्ग झालावाड़ में हुआ था।
संत पीपा के पिता का नाम कड़वाराम खींची तथा माता का नाम लक्ष्मीवती था और इनका वास्तविक नाम प्रतापसिंह खींची था। ये लोक संत होने के साथ-साथ एक महान शासक भी थे।
संत पीपा की पत्नी का नाम सीता सोलकणी था। और संत पीपा रामानंद जी के शिष्य थे। यह यह गागरोन (झालावाड़) के शासक रहे थे। इन्होंने दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक को युद्ध में पराजित किया था।
संत पीपा के आग्रह पर संत रामानंद व संत रैदास गागरोन आए थे। जहां संत पीपा को दीक्षा दी गई थी। संत पीपा ने भक्ति को मोक्ष का मार्ग बताया है। तथा इन्होंने ईश्वर की सगुन और निर्गुण दोनों भक्ति करने पर बल दिया था।
संत पीपा का मेला प्रतिवर्ष चैत्र पूर्णिमा के दिन गागरोन दुर्ग झालावाड़ में लगता है। तथा इनकी छतरी (यह छतरी आहु तथा काली सिंध नदियों के संगम पर है जिसे सामेला कहा जाता है।) भी गागरोन दुर्ग में ही बनी है। और गागरोन दुर्ग को जल दुर्ग कहा जाता है।
संत पीपा का का मंदिर बाड़मेर जिले के समदड़ी गांव में बना हुआ है। जहां इनके अनुयायीयों का तांता लगा रहता है।
संत पीपा की गुफा कहां है?
संत पीपा की गुफा टोंक जिले के टोडा नामक स्थान पर है, जहां इन्होंने तपस्या की थी।