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कृषि छात्र कल्याण संघ के संयोजक हनुमान चौधरी बोले-राज्य को कृषि महाविद्यालयों की बना दीं मंडी।

कृषि छात्र कल्याण संघ के संयोजक हनुमान चौधरी ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राजस्थान सरकार के नेताओं के पास अपनी विधानसभा में विकास के नाम पर दिखाने को कुछ नहीं बचा हुआ हो तो सरकार उनको नया कृषि महाविद्यालय पकड़ा कर करती है की जाओ नेताजी, लूट लो जी भर कर वाह वाही।

इसी वाह वाही लूटवाने के क्रम में सरकार द्वारा इस वर्ष कृषि बजट में 18 नए कृषि महाविद्यालय खोलकर प्रदेश को कृषि महाविद्यालय की मंडी बना दी। लेकिन समझ नहीं आता कि सरकार और उसके सलाहकार इस बात से अनजान है या जानबूझकर आंखें मूंद रहे हैं कि कृषि शिक्षा एक चतुर्थ वर्षीय तकनीकी पाठ्यक्रम है जिसकी डिग्री देशभर के विभिन्न संस्थानों में तब ही मान्य होती है जब उस महाविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद(ICAR) से एक्रीडेशन प्राप्त हो.

और यह तब दिया जाता है जब महाविद्यालय के पास संपूर्ण टीचिंग तथा नॉन टीचिंग स्टाफ, सभी विषयों की सुव्यवस्थित लैब, पर्याप्त फील्ड, बिल्डिंग, हॉस्टल, रिसर्च पेपर , अनुसंधान कार्य सहित विभिन्न संसाधन उपलब्ध हो। और पहले से ही इन सभी मापदंडों में नाजुक हालात के चलते प्रदेश के पहले से चले आ रहे आधे से ज्यादा कृषि महाविद्यालयों के पास ICAR एक्रीडेशन ही नहीं है और इन सब में भी बांसवाड़ा, सवाई माधोपुर, उनियारा एवं चिमनपुरा मैं तो कृषि संकाय राजकीय महाविद्यालय मैं अन्य विषयों के साथ संचालित हो रहा है.

गौरतलब हैं कि इन महाविद्यालयों के विद्यार्थियों ने कृषि संकाय को अलग से संचालित करने की मांग को लेकर 3 जनवरी को कृषि मंत्री जी के आवास पर सैकड़ों की संख्या में पहुंचकर गुहार लगाई थी, स्थानीय प्रतिनिधियों ने पत्र लिखे थे, और संबंधित विश्वविद्यालयों ने इन महाविद्यालयों को अपने अंतर्गत सम्मिलित करने को लेकर सरकार को प्रस्ताव भेजा।

कृषि मंत्री जी और उनके सलाहकारों ने विद्यार्थियों को आश्वासन दिया, लेकिन इन सबके बावजूद सरकार ने इन छात्रों का भविष्य नहीं बचा कर 18 नए कृषि महाविद्यालयों की मंडियां खोल दी। जहां से बिना मान्यता की डिग्रियों वाले पप्पू निकलेंगे, और उनको भी पहले वाले विद्यार्थियों की तरह देश पर मैं विभिन्न जगह, विभिन्न संस्थानों द्वारा धक्के मार कर बाहर निकाले जाएंगे, इनका ना तो कोई धणी होगा और ना कोई धोरी ।

सरकार के सलाहकारों, उच्च पदों पर बैठे धृतराष्ट्र, आखिर बता तो दो आप क्यों डुबोना चाहते हो कृषि शिक्षा की नैया?
याद रखना कृषि योद्धाओं को आंदोलन करना भी आता है और कलम चलाना भी, हम लड़ना भी जानते हैं और अपना हक छीनना भी .. हमारे सब्र का इम्तिहान मत लो !

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