गोगाजी का मेला कब और कहां लगता है ?
लोक देवता गोगाजी का नाम मारवाड़ के पंच पीरों में शामिल है। जानिए गोगाजी का मेला कब और कहां लगता है ? और गोगाजी के मेले की प्रमुख विशेषता क्या है ?
गोगाजी का मेला कब और कहां लगता है ?
गोगाजी का मेला भाद्रपद कृष्ण नवमी के दिन राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के नोहर नामक स्थान पर लगता है जिसे गोगामेडी के नाम से भी जाना जाता है।
यह मेला लोक देवता गोगाजी की स्मृति में लगता है इनक मेले में भाग लेने वाले श्रद्धालु गोगाजी के गीतों का गायन करते हैं तथा गोगाजी के भक्तों द्वारा गोगा जी की फड का वाचन किया जाता है।
गोगाजी के मेले की प्रमुख विशेषता यह है कि गोगाजी को केवल हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम संप्रदाय भी पूजता है। यह मेला हिंदू तथा मुस्लिम संप्रदाय की एकता का परिचायक है।
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इस मेले में राजस्थान से गोगाजी के अनुयायी भाग लेने पहुंचते हैं इसके अतिरिक्त पंजाब तथा उत्तर प्रदेश से भी गोगाजी के मेले में श्रद्धालु आते हैं।
लोक देवता गोगाजी ने गौ रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी इनके मेले के अंदर खेजड़ी के वृक्ष की भी पूजा की जाती है और इनके मेले में आने वाले श्रद्धालु सफेद रंग की ध्वजा लेकर आते हैं जिसके ऊपर सांप का चित्रण होता है।
गोगाजी के मेले में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को गोगाजी का पुजारी जिसे चायल कहा जाता है वह भक्तों को प्रसाद वितरित करता है।
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हिंदू मुस्लिम एकता की परिचय इस मेले में किसान भी बड़ी मात्रा में पहुंचते हैं क्योंकि किसान भी आराध्य देवता के रूप में गोगा जी को मानते हैं इस दिन किसान इनके मेले से हल खरीद कर लेकर जाते हैं और अपने खेतों में जुताई करने से पूर्व गोगाजी की आराधना करते हैं।