बडी़ तीज (कजली तीज) का त्योहार कब मनाया जाता है ?
बडी़ तीज (कजली तीज) का त्योहार कब मनाया जाता है ? व बडी़ तीज (कजली तीज) का त्योहार कैसे मनाया जाता है ? और कजली तीज के दिन किस वृक्ष की पूजा की जाती है ? तथा कजली तीज को कौन सा नृत्य किया जाता है ?
बडी़ तीज (कजली तीज) का त्योहार कब मनाया जाता है ?
बडी़ तीज (कजली तीज) का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से राजस्थान में मनाया जाता है राजस्थान का बूंदी जिला इस त्योहार के लिए प्रसिद्ध है।
बडी़ तीज (कजली तीज) का त्योहार माता पार्वती की पूजा अर्चना करके तथा मां पार्वती को पीले रंग के वस्त्र धारण करवा करके मनाया जाता है। इस दिन माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से वैवाहिक जीवन में नए परिवर्तन होते हैं तथा सभी प्रकार की अड़चनें समाप्त होती है।
कजली तीज के दिन नीम के वृक्ष की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं इस वृक्ष को मौली बांधती है तथा रोली से वृक्ष के साथ बार तिलक करती है। इस दिन नीम के वृक्ष की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि नीम के वृक्ष का औषधीय महत्व विशेष होता है।
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कजली तीज के दिन चकरी तथा फुंदी नृत्य किया जाता है। यह नृत्य कंजर जाति की अविवाहित कन्या करती है। मुख्य रूप से यह नृत्य राजस्थान के बूंदी जिले का प्रसिद्ध है। इस नृत्य के दौरान महिलाओं का पग संचालन देखने लायक होता है।
कजली तीज के दिन गौरी व्रत करने वाली अविवाहित कन्याएं सातु खा कर अपना व्रत खोलती है तथा इसके पश्चात माता पार्वती और शिव लिंग के समक्ष प्रणाम करती है और मनोकमना करती है कि उनको सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिले।
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इस तरह कजली तीज के दिन का व्रत संपन्न होता है और इस व्रत को करने वाली महिलाओं को विशेष फल की प्राप्ति होती है तथा माता पार्वती प्रसन्न होती है।