ऊब छट (हल छट) का व्रत कब और क्यों किया जाता है ?
ऊब छट (हल छट) का व्रत कब और क्यों किया जाता है ? तथा भगवान बलराम का जन्मोत्सव किस दिन मनाया जाता है ?
ऊब छट (हल छट) का व्रत कब और क्यों किया जाता है ?
ऊब छट (हल छट) का व्रत हिंदू माह के भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन किया जाता है। यह व्रत अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति हेतु दिन भर खड़े रहकर करती है।
इस व्रत को करने वाली कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है तथा उनका वैवाहिक जीवन भी अच्छा ही व्यतीत होता है।
ऊब छट (हल छट) का व्रत व्रत धारण करने वाली कन्या भोजन नहीं करती है। वृत्त करने वाली यह कन्या एक दूसरे दिन भगवान कृष्ण के मंदिर में जाकर के कुछ दक्षिणा दान करने के बाद ही अपना व्रत पूर्ण करती है और उसके उपरांत भोजन ग्रहण करती है।
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ऊब छट (हल छट) के दिन ही भगवान बलराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान बलराम के जन्मोत्सव के दिन किसान अपने हल की पूजा करते हैं तथा इस दिन किसान अपने बैलों को भी सजाते हैं।
भगवान बलराम का जन्मोत्सव संपूर्ण भारत में इस दिन बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों से ज्ञात होता है कि भगवान कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम ही थे।
भगवान बलराम को किसानों का आराध्य देव माना जाता है भगवान बलराम की जयंती को संपूर्ण किसान समाज मनाता है और इस दिन किसान एक दूसरे किसान की मदद करते हैं।
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बलराम के जन्मोत्सव के दिन चूरमा बाटी बनाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है और आज भी भगवान बलराम की जयंती के दिन चूरमा बाटी ही बनाया जाता है।