संत चरणदास जी का जीवन परिचय 2024 | चरणदासी संप्रदाय | इतिहास
संत चरणदास जी का जीवन परिचय 2024 | चरणदासी संप्रदाय | इतिहास , चरणदास जी का जन्म कब और कहां हुआ ? , चरणदास जी की प्रमुख रचनाएं।
संत चरणदास जी का जीवन परिचय 2024 | चरणदासी संप्रदाय | इतिहास
चरणदास जी निर्गुण तथा सगुण भक्तिके संत थे। इनका जन्म विक्रम संवत 1760 में अलवर जिले के डेहरा नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम मुरलीधर तथा माता का नाम कुंजवती था।
चरणदास जी का बचपन का नाम रंजीत था तथा इनके गुरु का नाम शुकदेव मुनि था। इनके उपदेश मेवाती बोली में है। चरणदास जी ने चरणदासी संप्रदाय की स्थापना की थी। इस संप्रदाय के अनुयायी 42 नियम मानते हैं। इसका अधिकांश साहित्य मेवाती बोली में लिखा गया है।
चरणदासी संप्रदाय की मुख्य पीठ दिल्ली में है तथा एक अन्य पीठ अलवर जिले के डेहरा नामक स्थान पर है। इस संप्रदाय के अनुयायी पीले वस्त्र धारण करते हैं। संत चरणदास जी ने 42 उपदेश दिए थे तथा इनका समाधि स्थल दिल्ली में है।
चरणदास जी ने भारत पर नादिरशाह के आक्रमण की पूर्व में ही भविष्यवाणी कर दी थी। नादिरशाह ईरान का शासक था जिसने 1739 ईस्वी में मोहम्मद शाह रंगीला के काल में भारत पर आक्रमण किया था।
चरणदास जी की प्रमुख रचनाएं
अष्टांग योग , ब्रह्म सागर , ब्रह्मज्ञान चरित्र , ज्ञान स्वरोदय , भक्ति सागर , दानलीला तथा नासकेत चरणदास जी की प्रमुख रचनाएं हैं।
चरणदास जी की शिष्याएं
दया बाई तथा सहजो बाई चरणदास जी की प्रमुख शिष्याएं थी दया बाई का जन्म डेहरा गांव अलवर में हुआ था इन्होंने दया बोध तथा विनय मालिका नामक रचनाएं की जबकि सहजो बाई ने सहजप्रकाश तथा सहपार निर्णय नामक रचनाएं की।
Note- दया बाई व सहजो बाई मेवात क्षेत्र की प्रसिद्ध संत हुई जिनके उपदेश मेवाती बोली में संकलित हैं।