संत हरिदास जी का जीवन परिचय 2024 | निरंजनी संप्रदाय | इतिहास
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संत हरिदास जी का जीवन परिचय 2024 | निरंजनी संप्रदाय | इतिहास
संत हरिदास जी को कलयुग का वाल्मीकि कहा जाता है। इनका जन्म कुचामन के निकट कापडो़द नामक स्थान पर हुआ था। यह सन्यास धारण करने से पूर्व लूट-पाट व डकैती का कार्य करते थे। इसके पश्चात इन्होंने यह कार्य त्याग करके तप किया तथा समाज सेवा के कार्य में जुट गए।
संत हरिदास जी ने निरंजनी संप्रदाय चलाया था। जिसकी मुख्य पीठ गाड़ा धाम डीडवाना में है। निरंजनी संप्रदाय की दो शाखाएं हैं-
- घरबारी- गृहस्थी जीवन जीने वाले।
- निहंग- गृहस्थी जीवन त्यागने वाले।
संत हरिदास जी का समाधि स्थल गाड़ा गांव (डीडवाना) में है।
संत हरिदास जी का वास्तविक नाम क्या है ?
संत हरिदास जी का वास्तविक नाम हरि सिंह सांखला था। इनकी जन्मस्थली के निकट तीखली डुंगरी नामक पहाड़ी है जो संत हरिदास जी की तपोस्थली रही है।
संत हरिदास जी की प्रमुख रचनाएं
- मंत्र राजप्रकाश
- हरि पुरख री वाणी
- साखी
- भरथरी संवाद