प्रमुख वैवाहिक रिवाज़ (major matrimonial rituals)
आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताएंगे प्रमुख वैवाहिक रिवाज़ ।
घृतपान– विवाह से कुछ दिन पूर्व शुभ मुहूर्त पर दूल्हे एवं दुल्हन को काकंण डोर (धागा)। बांधने हेतु घृतपान (घी पीलाना)करवाया जाता है।

चाक पूजन- इस वैवाहिक रिवाज़ के अनुसार गणेश पूजा के पश्चात महिलाओं द्वारा कुम्हार के घर जाकर मिट्टी के बर्तनों की पूजा की जाती है।
मुंधणा/मुंझणा- इस रिवाज में मिठाई बनाने में प्रयुक्त होने वाली लकड़ियों की गांव के चौक पर पूजा की जाती है।
हल्दायत/पीठी- जौ के आटे/ हल्दी एवं तेल से बना मिश्रण पीठी कहलाता है। पांव से सिर तक के क्रम में पीठी लगाना तेल चढ़ाना कहलाता है जबकि विवाह के दिन सर्वप्रथम ललाट पर एवं अंत में पांव पर पीठी लगाते हैं जिसे तेल उतारना कहते हैं।
बनौला/बंदोरा- इस रिवाज़ के अनुसार विवाह अवसर पर वर-वधू के रिश्तेदारों द्वारा उनके लिए भोज का आयोजन किया जाता है।
रातिजगा/रात्रि जागरण– इस रिवाज़ के अनुसार विवाह के अवसर पर रात्रिकालीन समय में महिलाओं द्वारा मांगलिक गीत गाए जाते हैं।
पाट उतारना- दूल्हे के मामा द्वारा दूल्हे को बाजोट से नीचे उतारना ही पाट उतारना रिवाज़ के अंतर्गत आता है।
अवंराना/राईडा़- इस रिवाज़ के अनुसार दूल्हे को बुरी नजर से बचाने हेतु उसकी बहन द्वारा उसके ऊपर से नमक तथा राई फैंकी जाती है।
बिन्दौली/रथी- इस रिवाज़ के अनुसार विवाह के अवसर पर दूल्हे को घोड़ी पर बिठाकर संपूर्ण गांव में घुमाया जाता है।
सामेला– ये एक महत्वपूर्ण रिवाज़ है इसके अनुसार बारात के डेरे का वधू पक्ष के लोगों द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है।
कंवारी जान भात- बारात को वधू पक्ष के लोगों द्वारा दिया गया प्रथम भोज कंवारी जान भात रिवाज के नाम से जाना जाता है।
पड़ला- वर पक्ष द्वारा वधू के लिए कपड़े, गहने, आभूषण इत्यादि लाने का रिवाज़।
नागौर के प्रसिद्ध मंदिर, Temple Of Rajasthan
ढुकाव- वर को बारात के डेरे से फेरों हेतु वधू के घर तक ले जाना ढुकाव रिवाज के अंतर्गत आता है।
झेला-मेला की आरती- दूल्हे द्वारा तोरण मारते समय दूल्हे की सास द्वारा उतारी गई आरती झेला-मेला की आरती के नाम से जानी जाती है। इस आरती के समय झिलमिल व कुकडलु लोक गीत गाए जाते हैं।