माघ महीने का महत्व तथा माघ महीने में क्या करना चाहिए
माघ महीने का महत्व तथा माघ महीने में क्या करना चाहिए और माघ महीने में क्या नहीं करना चाहिए तथा माघ महीने में किस की आराधना करनी चाहिए ?
माघ महीने का महत्व तथा माघ महीने में क्या करना चाहिए
हिंदू धर्म में प्रत्येक महीने का विशेष महत्व होता है और हर महीने का नाम नक्षत्रों के आधार पर रखा जाता है और माघ महीने का नाम मघा नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। हिंदू धर्म में पौष के महीने के बाद ग्यारवें महीने के रूप में माघ का महीना जाना जाता है।
पौराणिक ग्रंथों में माघ महीने का विवरण मिलता है जिसमें महा मास में प्रातः काल के समय नियमित रूप से स्नान करने पर उतना ही पुण्य प्राप्त होता है जितना कि किसी गरीब को वस्त्र दान करने से होता है और ब्राह्मण को गाय दान करने से होता है।
माघ का महीना भगवान विष्णु का अति प्रिय महीना होता है इस महीने में जो जातक प्रात काल के समय स्नान करके भगवान विष्णु के नाम से प्रतिदिन जल अर्पित करता है उस जाति की सभी प्रकार की समस्याओं का निवारण होता है और उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है तथा व्यवसाय में आ रही बाधा भी दूर होती है।
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माघ मास को भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है इसलिए ऐसा कहा जाता है कि माघ मास के अंदर जो जातक गंगा तथा यमुना के अंदर स्नान करता है उस जातक की सभी समस्याओं का निवारण होता है तथा उस जातक को अपने कार्यों और व्यवसाय में सफलता भी मिलती है।
माघ महीने का धार्मिक महत्व तो विशेष होता ही है लेकिन इस महीने का ऐसे भी महत्व विशेष होता है क्योंकि इस महीने में खुशी ही पवित्र स्थान पर यदि कोई जातक स्नान करता है तो उस जातक की सभी समस्याओं का समाधान होता है।
माघ के महीने में गरीबों को पीले रंग के वस्त्र दान में देने चाहिए तथा गायों को चारा खिलाना चाहिए और हो सके तो इस दिन भूखे व्यक्तियों को अपने घर पर खाना खिलाना चाहिए ऐसा करने से पारिवारिक क्लेश खत्म होता है।
इसके अतिरिक्त माघ के महीने में यमुना जी का जल लाकर अपने घर में छिड़कने से घर में सुख समृद्धि तथा धन-धान्य में वृद्धि होती है।
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माघ मास की गिनती सनातन धर्म के पवित्र महीने में की जाती है इसलिए इस महीने में किसी भी प्रकार के मांस तथा शराब का सेवन नहीं करना चाहिए और इस महीने में प्याज और लहसुन का सेवन करने से भी बचना चाहिए।