खेजड़ली मेला कब और कहां लगता है ?
खेजड़ली मेला कब और कहां लगता है ? तथा वृक्ष मेला कहां और कब लगता है तथा खेजड़ली मेला किसकी स्मृति में लगता है?
खेजड़ली मेला कब और कहां लगता है ?
हिंदू माह के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन में खेजड़ली मेला लगता है। यह महिला विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला माना जाता है खेजड़ली मेले का दूसरा नाम है वृक्ष मेला।
खेजड़ली मेला यानी कि वृक्ष मेला राजस्थान के जोधपुर जिले में खेजड़ी नामक स्थान पर प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल दशमी के दिन लगता है। इस मेले को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक भी माना जाता है।
यह मेला प्रतिवर्ष अमृता देवी बश्नोई की स्मृति में आयोजित होता है अमृता देवी विश्नोई ने खेजड़ी वृक्ष को बचाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था उनके साथ ही लगभग 300 से अधिक लोगों ने वृक्षों को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी इसलिए उनकी स्मृति में ही खेजड़ी ली का मेला लगता है।
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यह संपूर्ण विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला है जो कि पर्यावरण को बचाने का संदेश देता है तथा वृक्षों का क्या महत्व है इसका भी आने वाली पीढ़ियों को ज्ञान करवाता है।
भाद्रपद शुक्ल दशमी के दिन आयोजित होने वाले इस मेले में अनेक पर्यावरण प्रेमी भाग लेते हैं और पर्यावरण के क्षेत्र के अंदर अमूल्य कार्य करने वाले लोगों को इस दिन अमृता देवी विश्नोई पुरस्कार से राजस्थान सरकार सम्मानित भी करती है।
खेजड़ली मेला संपूर्ण विश्व के पर्यावरण संरक्षण के लिए पर्याय बन चुका है यह मेला केवल विश्व में एक ही स्थान पर लगता है जो है कि राजस्थान के जोधपुर जिले का खेजड़ी स्थान। इसी स्थान पर यह मेला इसलिए लगता है क्योंकि यहीं पर वृक्षों को बचाने के लिए अमृता देवी विश्नोई के साथ उनके अन्य सहयोगियों ने अपने प्राण त्यागे थे।
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यह मेला अमृता देवी बिश्नोई की स्मृति में बढ़ता है तथा उनके साथ शहीद होने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि के रूप में भी इस मेले का आयोजन किया जाता है।