तेजा दशमी कब और क्यों मनाई जाती है ?
तेजा दशमी कब और क्यों मनाई जाती है ? तथा तेजा दशमी के दिन मेला कहां लगता है ? और तेजा दशमी किस लोक देवता की स्मृति में मनाई जाती है ?
तेजा दशमी कब और क्यों मनाई जाती है ?
तेजा दशमी का पर्व संपूर्ण उत्तर भारत में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। तेजा दशमी का पर्व लोक देवता तेजाजी के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कृषि कार्यों के उद्धारक लोक देवता तथा गौ रक्षक लोक देवता तेजाजी की स्मृति में तेजा दशमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन किसान अपने आराध्य देव श्री वीर तेजा जी से प्रार्थना करते हैं कि इस बार अच्छी बारिश हो और उनके खेतों के अंदर अच्छी फसल तथा पैदावार हो।
तेजा दशमी का त्यौहार प्रमुख रूप से भारत के राजस्थान राज्य में मनाया जाता है। इस राज्य में तेजा दशमी के दिन नागौर जिले के परबतसर में तथा अजमेर जिले के सुरसुरा नामक स्थान पर मुख्य रूप से मेला लगता है। इस मेले में राजस्थान सहित आसपास के राज्यों से भी तेजाजी की अनुयायी भाग लेने आते हैं।
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सामान्यतया तेजाजी का मेला तेजा दशमी के दिन राजस्थान के प्रत्येक गांव के अंदर आयोजित होता है क्योंकि राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण लोक देवता वीर तेजाजी ही है और मुख्य रूप से इनको राजस्थान के अजमेर जिले के लोक देवता के रूप में माना तथा पूजा जाता है।
तेजा दशमी के दिन किसान अपने घरों में अलग-अलग प्रकार के पकवान बनाते हैं और अपने आराध्य देव श्री वीर तेजाजी को पकवानों का भोग लगाते हैं और अच्छी बरसात की मनोकामना करते हैं।
तेजा दशमी का पर्व गौ रक्षक तथा श्री सत्यवादी लोक देवता वीर तेजाजी की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व समूचे उत्तर भारत के अंदर बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है इस पर्व को मुख्य रूप से किसान समुदाय मनाता है।
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किसान समुदाय के आराध्य देवता वीर तेजाजी का यह पर्व भाद्रपद माह में विशेष रूप से मनाया जाता है ऐसा कहा जाता है कि तेजाजी के नाम की ताती बांधने से जिस व्यक्ति को काला सांप खा जाता है वह व्यक्ति पूर्ण रूप से ठीक हो जाता है। इसलिए तेजाजी को काला तथा भाला का देवता भी कहा जाता।