गोवर्धन पूजा विधि | Govardhan Puja Vidhi
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गोवर्धन पूजा विधि | Govardhan Puja Vidhi
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है। तथा गोवर्धन पूजा हमेशा संध्या काल के बाद की जाती है और इस दिन हम दिन के अंदर गाय के गोबर से गोवर्धन की प्रतिकृति बनाते हैं।
गोवर्धन पूजा आरंभ करने से पूर्व हमारे पास एक प्लेट होनी चाहिए जिसके अंदर रौली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है। और इस दिन भगवान गोवर्धन की नाभि के अंदर दूध भेंट किया जाता है। और इसके बाद गोवर्धन महाराज की नाभि के पास ही दीपक रखकर के उसको प्रज्वलित किया जाता है।
और गोवर्धन महाराज को तिलक किया जाता है तथा इसके साथ ही सुपारी से बने गणेश जी को भी तिलक किया जाता है। सबको तिलक करने के बाद में सभी के सामने अक्षत भेंट किया जाता है।
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और गोवर्धन पूजा करते समय वस्त्र स्वरूप हम सभी देवी देवताओं को कलवा समर्पित करते हैं। और इसके साथ ही पुष्प समर्पित भी किए जाते हैं। तथा खीर और पतासे का भोग इस दिन भगवान गोवर्धन को लगाया जाता है।
भगवान गोवर्धन को भोग लगाने के बाद में हमें 7, 11 अन्यथा 21 परिक्रमा भगवान गोवर्धन की करनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से भगवान गोवर्धन खुश होते हैं और अपनी कृपा अपने भक्तों के ऊपर बनाए रखते हैं।
और परिक्रमा करने के पश्चात भगवान गोवर्धन को जल का छिड़काव किया जाता है और इसके बाद में बैलों के द्वारा गोवर्धन को विसर्जित करवाया जाता है।
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बैल जब गोवर्धन महाराज को विसर्जित करते हैं उसे समय सभी लोगों को भगवान गोवर्धन को नतमस्तक होकर प्रणाम करना चाहिए।