देवशयनी एकादशी कब आती है ?
देवशयनी एकादशी कब आती है ? तथा देवशयनी एकादशी का महत्व और देवशयनी एकादशी का व्रत क्यों किया जाता है ?

देवशयनी एकादशी कब आती है ?
देवशयनी एकादशी एकादशी पर लोग ऐसा मानते है कि भगवान विष्णु शेषनाग पर योगा निंद्रा में चले जाते है और वापस चार महीने बाद निंद्रा से उठते हैं।
देवशयनी भगवान विष्णु के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन भी माना जाता है। देवशयनी एकादशी हर वर्ष आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन आती है। यानी कि देवशयनी एकादशी बरसात के मौसम आने से थोड़ी ही पहले आती है।
देवशयनी एकादशी के बाद लगभग चार माह तक कोई भी मांगलिक कार्यक्रम नहीं होते है जैसे शादी – विवाह , मूर्ति स्थापित करना , कोई मुहूर्त आदि सारे कार्य इस दौरान नहीं होते है।
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देवशयनी एकादशी के जाने के बाद अगर किसी के कोई मुहूर्त दिया होता है तो फिर उसे नहीं मानते है और फिर चार महीने बाद दुबारा मुहूर्त देकर उस कार्य को आरंभ किया जाता हैं।
देवशयनी एकादशी आती हैं तो कई लोग सोचते है कि अब चार महीने तक आराम करेंगे और फिर चार महीने बाद कोई काम करेंगे।
देवशयनी एकादशी का पर्व हर जगह बड़े ही धूम और धाम से मनाया जाता है और भगवान विष्णु को लॉरी गा गाकर सुलाया जाता है।
देवशयनी एकादशी का जितना वेदिक महत्व है उससे कई गुना अधिक धार्मिक महत्व है इस दिन को भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है तथा भगवान विष्णु इस दिन शयन करने से पूर्व अपने सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं इसलिए भी देवशयनी एकादशी का महत्व बढ़ जाता है।
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भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तथा उनकी आराधना में पूर्ण रुप से विलीन होने के लिए देवशयनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन का व्रत करने वाले जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और भाग्य उदय होता है।