भडल्या नवमी क्या है ?
भडल्या नवमी क्या है ? तथा भडल्या नवमी कब आती है और भडल्या नवमी के दिन क्या किया जाता है तथा भडल्या नवमी का महत्व
भडल्या नवमी क्या है ?
भडल्या नवमी हिंदू धर्म की एक शुभ मुहूर्त की तिथि तथा उतरी भारत के अंदर ज्यादा मनाया जाने वाला विशेष पर्व है। भडल्या नवमी हिंदू मास कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के तिथि के दिन आती है तथा इसे भडली नवमी भी बोला जाता है।
यह पर्व गुप्त नवरात्रि के समापन दिवस के दिन मनाया जाता हैं। उतर भारत के अंदर इस दिन को विवाह का अबूझ मुहूर्त भी माना जाता हैं। हिंदू धर्म के अंदर विवाह होता है तो वह शुभ मुहूर्त में ही होता है और वह भडल्या नवमी का दिन उन शुभ मुहूर्त में से अंतिम शुभ मुहूर्त माना जाता है।
और इस दिन अगर किसी जोड़े के लिए शुभ मुहूर्त कई सालों से या फिर कई महीनो से नहीं होता है तो वह भडल्या नवमी के दिन उनका विवाह करवा दिया जाता है और उस विवाह को शुभ माना जाता है।
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भडल्या नवमी के बाद बोला जाता है कि भगवान सो जाते है और इस कारण भडल्या नवमी से पहले कुछ दिन सिर्फ और सिर्फ शुभ काम ही होते है।
भडल्या नवमी का त्योहार भगवान विष्णु के सम्मान में मनाया जाता है और इस दिन जो भी काम लोग करते है उन कामों के उपर भगवान विष्णु का आशीर्वाद होता है और वह लगभग – लगभग प्रत्येक काम सफल होते हैं।
भगवान विष्णु सोने से पहले अपने भक्तों को यह एक दिन भडल्या नवमी के रूप में देते है जिससे भगवान विष्णु के भक्त अपने काम एक दिन में आसानी से पूर्ण कर सकें।
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भगवान विष्णु हमेशा ही अपने भक्तो का ध्यान रखते है भडल्या नवमी के दिन को भक्त अनोखे तरीके से मनाते है और भगवान विष्णु से आशीर्वाद लेने की अपेक्षा रखते है।
भडल्या नवमी का दिन शुभ अवसरो का अंतिम दिन भी माना जाता हैं इसके बाद कोई शुभ कार्य नहीं होते है। हिंदुओं के अंदर भडल्या नवमी का त्योहार बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता हैं।
भडल्या नवमी के दिन झारखंड राज्य के अंदर बहुत ही बड़ा मेला भी भरता है और मेले के अंदर लाखो – लाख श्रद्धालु आते हैं इस मेले में झारखंड राज्य के ही नहीं वल्कि पूरे देश से अलग – अलग स्थानों से श्रद्धालु आते हैं।