नागणेची माता का जीवन परिचय 2024| मंदिर | इतिहास | कहानी
नागणेची माता का जीवन परिचय 2024| मंदिर | इतिहास | कहानी , नागणेची माता किसकी कुलदेवी है ? , नागणेची माता का दूसरा नाम , नागणेची माता का मंदिर कहां है ? , नागणेची माता की मूर्ति कितनी भुजाओं युक्त है ?

नागणेची माता का जीवन परिचय 2024| मंदिर | इतिहास | कहानी
मारवाड़ के शासक राव धुहड़ नागणेची माता की मूर्ति कर्नाटक से लेकर आए थे। नागणेची माता की मुख्य मूर्ति मेहरानगढ़ दुर्ग में है, जिसे राव जोधा नागाणा गांव (बाड़मेर) से लेकर गए थे।
राठौड़ राजवंश के राज चिन्ह में चील पक्षी के रूप में नागणेची माता को दर्शाया गया है। मुख्यतः लोक देवी नागणेची माता का मंदिर नीम के वृक्ष के नीचे होता है।
लोक देवी नागणेची माता की पूजा आराधना कर्नाटक जिले में चक्रेश्वरी माता के नाम से होती है।
नागणेची माता किसकी कुलदेवी है ?
लोक देवी नागणेची माता राठौड़ राजवंश की कुलदेवी है। राठौड़ राजवंश प्राचीन काल से ही नागणेची माता की पूजा आराधना करता आ रहा है।
नागणेची माता का दूसरा नाम
नागणेची माता का दूसरा नाम चक्रेश्वरी माता तथा पंखीणी माता है।
नागणेची माता का मंदिर कहां है ?
लोक देवी नागणेची माता का मुख्य मंदिर बाड़मेर जिले के नागाणा गांव में है।
नागणेची माता की मूर्ति कितनी भुजाओं युक्त है ?
लोक देवी नागणेची की माता की मुख्य मूर्ति 18 भुजाओं से युक्त है। काले रंग से बनी यह प्रतिमा देखने में बहुत ही सुंदर दिखाई देती है।
नागणेची माता का दूसरा मंदिर
नागणेची माता का दूसरा मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले में है। जिसका निर्माण बीकानेर के शासक राव बीकानेर करवाया था।