मंगला गौरी व्रत कैसे करें ?
मंगला गौरी व्रत कैसे करें ? तथा मंगला गौरी का व्रत कब शुरू करना चाहिए ? और मंगला गौरी व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए ? एवं मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि।
मंगला गौरी व्रत कैसे करें ?
मंगलवार के दिन स्नान इत्यादि करने के बाद में एक पाटा लेकर उसके ऊपर आधे भाग में सफेद तथा आधे भाग में लाल कपड़ा बिछाना चाहिए। और पाट पर थोड़े चावल, एक सुपारी पर मौली लपेटकर गणेश जी बना कर रख देना चाहिए।
सफेद कपड़े पर चावल को नौ अलग-अलग जगह रखकर नौ ग्रह बनाने चाहिए के बाद पार्टी के नीचे थोड़ा सा गेहूं रखकर उसके ऊपर कलश स्थापित करना चाहिए। यह सब करने के बाद में एक आटे से चार मोहे वाला दीपक बनाना चाहिए तथा उसमें सोलह-सोलह तार की चार बाती लगा देनी चाहिए और सोलह धूपबत्ती लगानी चाहिए।
और इसके बाद में भगवान गणेश तथा भगवान शिव की आरती करनी चाहिए आरती करने के पश्चात हल्का भोजन ग्रहण करना चाहिए तथा दूसरे दिन माता पार्वती भगवान गणेश तथा शिव जी की प्रतिमा का विसर्जन कर देना चाहिए।
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प्रतिमा का विसर्जन करने के पश्चात आंखें बंद करके ईश्वर का ध्यान करना चाहिए और ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए थी हे ईश्वर मेरे जीवन को निरोगी तथा सुखी रखो।
मंगला गौरी का व्रत कब शुरू करना चाहिए ?
श्रावण महीने के पहले मंगलवार के दिन से मंगला गौरी व्रत शुरू करना चाहिए तथा श्रावण महीने के अंतिम मंगलवार तक मंगला गौरी का व्रत करना चाहिए।
मंगला गौरी व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए ?
मंगला गौरी व्रत के दौरान सेव , केला , अंगुर , सांवके , साबुदाने की खीर, दुध का मेवा , इत्यादि खाने चाहिए।
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तथा इस दिन जो भी भोजन किया जाता है उस भोजन में किसी भी प्रकार के नमक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए यदि नमक का इस्तेमाल करते हैं तो व्रत ईश्वर तक नहीं पहुंच पाता है।
मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि।
मंगला गौरी व्रत करते समय सबसे पहले गणेश जी की जल, पंचामृत, मौली, जनेऊ, चंदन, रोली, सिंदूर, चावल, फूल, बेलपत्र, प्रसाद, पंचमेवा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, अबीर, गुलाल से पूजा करनी चाहिए और दक्षिण दिशा की ओर चढ़ाना चाहिए।
तत्पश्चात कलश की पूजा करनी चाहिए और जल डालना चाहिए और दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके एक सुपारी तथा पंचतंत्र थोड़ी सी मोटी के साथ दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके कलश में छोड़ना चाहिए और कलश के ऊपर 5 आम के पत्ते लगाने चाहिए तथा थोड़ा सा चावल कलर्स पर डालकर रख देना चाहिए।
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इसके बाद माता पार्वती की तस्वीर के समक्ष पुष्प अर्पित करने चाहिए तथा अपनी मनोकामनाएं माता के समय रखनी चाहिए ऐसा करने से मंगला गौरी व्रत पूर्ण होता है और सूर्यास्त के बाद भोजन कर लेना चाहिए।