लोक देवता मल्लीनाथ जी का जीवन परिचय 2024 | mallinaath ji Biography in Hindi

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लोक देवता मल्लीनाथ जी का जीवन परिचय 2024 | mallinaath ji Biography in Hindi

लोक देवता मल्लीनाथ जी का जीवन परिचय 2024 | mallinaath ji Biography in Hindi , मल्लीनाथ जी का जन्म कब और कहां हुआ ? , मल्लीनाथ जी के माता-पिता का क्या नाम है ? , मल्लीनाथ जी ने किस पंथ की स्थापना की ?

लोक देवता मल्लीनाथ जी का जीवन परिचय 2024 | mallinaath ji Biography in Hindi
लोक देवता मल्लीनाथ जी का जीवन परिचय 2024 | mallinaath ji Biography in Hindi

लोक देवता मल्लीनाथ जी का जीवन परिचय 2024 | mallinaath ji Biography in Hindi

लोक देवता मल्लीनाथ जी ने अपनी पत्नी रानी रूपादे के कहने पर वैराग्य धारण किया तथा उगमसी भाटी (मल्लीनाथ जी के गुरु) से शिक्षा दीक्षा ग्रहण की। 1378 ईस्वी में मल्लीनाथ जी ने मालवा के सूबेदार निजामुद्दीन की सेना को पराजित किया तथा लोक देवता मल्लीनाथ ने 1399 ईस्वी में मारवाड़ के संतों का महासम्मेलन करवाया था।

मल्लीनाथ जी का जन्म कब और कहां हुआ ? 

लोक देवता मल्लीनाथ जी का जन्म 1358 ईस्वी में बाड़मेर की सिवाना तहसील के गोपड़ी गांव में हुआ था।

मल्लीनाथ जी के माता-पिता का क्या नाम है ? 

लोक देवता मल्लीनाथ जी के पिता का नाम राव सलखा जी तथा माता का नाम जीणा दे था।

मल्लीनाथ जी ने किस पंथ की स्थापना की ?

लोक देवता मल्लीनाथ जी ने 1399 ईस्वी में कुंडा पंथ की स्थापना की थी।

लोक देवता मल्लीनाथ जी के उपनाम

लोक देवता मल्लीनाथ जी को मालाणी का धणी , मालाणी का राव , भविष्य दृष्टा तथा भविष्य त्राता के उपनाम से जाना जाता है।

लोक देवता मल्लीनाथ जी की पत्नी

लोक देवता मल्लीनाथ जी की पत्नी राणी रूपादे थी। जिन्हें बरसात की देवी कहा जाता है तथा इनका मंदिर बाड़मेर जिले के मालाजाल नामक स्थान पर है।

लोक देवता मल्लीनाथ जी के गुरु

मल्लीनाथ जी के गुरु उगमसी भाटी थे। जिनके सानिध्य में इन्होंने अपनी पत्नी के कहने पर शिक्षा दीक्षा ग्रहण की थी।

मल्लीनाथ जी की वीरता के संबंध में प्रचलित कहावत-

तेरह तुगा भागिया , माले सलखाणी

मल्लीनाथ जी का मंदिर कहां स्थित है ?

मल्लीनाथ जी का मंदिर बाड़मेर के तिलवाड़ा नामक स्थान पर लूणी नदी के किनारे पर स्थित है।

मल्लीनाथ पशु मेला कब और कहां आयोजित होता है ?

मल्लीनाथ पशु मेला प्रतिवर्ष चैत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक बाड़मेर के तिलवाड़ा नामक स्थान पर लूणी नदी के किनारे आयोजित होता है। यह राजस्थान का सबसे प्राचीनतम पशु मेला है। मल्लीनाथ पशु मेला मालाणी नस्ल के घोड़ों के लिए प्रसिद्ध है।

Note- तिलवाड़ा के आसपास के क्षेत्र का नाम मालाणी मल्लीनाथ जी के नाम पर ही पड़ा है।

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