गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है जानिए गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि तथा गुरु पूर्णिमा की पूजा कैसे करें ?
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में पूजा जाता है इस दिन गुरु की पूजा का विशेष महत्व होता है। क्योंकि गुरु की पूजा से ही व्यक्ति सही तथा गलत मार्ग की ओर प्रशस्त होता है किंतु गुरु हमेशा अपने शिष्य को सही सरल तथा श्रेष्ठ मार्ग पर चलने की राह देता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा करने से पहले स्नान कर लेना चाहिए और स्नान करने के बाद में 25 मिनट तक आंखें बंद करके अपने गुरु का ध्यान करना चाहिए। जैसे ही 25 मिनट बाद आप अपनी आंखें खोलेंगे तो आपको ऐसा प्रतीत होगा कि आपके गुरुदेव आपके आसपास ही है।
गुरु पूर्णिमा के दिन हो सके तो अपने गुरु के पास जाकर के आशीर्वाद लेना चाहिए और गुरु को दक्षिणा स्वरूप कुछ भी वेट करना चाहिए अगर ऐसा होना स्वाभावक नहीं है तो अपने गुरु की तस्वीर की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
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और गुरु की तस्वीर पर शुद्ध गंगाजल छिड़कना चाहिए इसके बाद में तस्वीर के नजदीक ही अगरबत्ती लगानी चाहिए और पुष्प अर्पित करने चाहिए।
गुरु पूर्णिमा को सुबह जल्दी उठकर ही अपने गुरु की पूजा करनी चाहिए क्योंकि प्रातः काल के समय को ईश्वर का समय माना जाता है इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करने के लिए सही तथा श्रेष्ठ समय प्रातः काल का है।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करने से पहले पूजा सामग्री एक थाली में रख लेनी चाहिए जिनमें अक्षत, रोली, मोली तथा सुपारी रखनी चाहिए और एक माला भी रखनी चाहिए इन सबके साथ अपने गुरु देव की पूजा करनी चाहिए।
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हमारे द्वारा बताए गए इस तरीके से गुरुदेव की पूजा करने से पूजा करने वाले जातक पर किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं आता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा संपूर्ण पूजा सामग्री के साथ करनी चाहिए और गुरु की पूजा करते समय आपका मुंह उत्तर तथा दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।