गणगौर कब और कैसे मनाई जाती है ?
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गणगौर कब और कैसे मनाई जाती है ?
गणगौर प्रतिवर्ष हिंदू माह की चित्र कृष्ण की नवमी तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2023 में 16 मार्च गुरुवार के दिन गणगौर मनाई जाएगी। गणगौर भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करके मनाई जाती है।
गणगौर क्यों मनाई जाती है ?
गणगौर चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन भगवान शिव तथा माता पार्वती की आराधना करने के पर्व के रूप में मनाई जाती है।
गणगौर का महत्व
हिंदू धर्म में कुंवारी कन्याएं इच्छित वर की प्राप्ति हेतु तथा कुशल जीवन की कामना करने के लिए गणगौर का पर्व मनाती है। गणगौर का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।
गणगौर मनाने की विधि
16 बिंदिया लगा कर होलिका दहन की पेडि़यो से भगवान शिव तथा पार्वती को पुजकर गणगौर का त्योहार मनाया जाता है।
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बिना ईसर की गणगौर कहां मनाई जाती है ?
बिना ईसर यानी की भगवान शिव के बिना गणगौर का पर्व राजस्थान के जैसलमेर जिले में मनाया जाता है।
बिना पार्वती की गणगौर कहां मनाई जाती है ?
बिना पार्वती की गणगौर यानी की माता पार्वती के बिना केवल शिव को ही पुजकर गणगौर का पर्व राजस्थान के बीकानेर जिले में मनाया जाता है।
गणगौर के अंतिम दिन को क्या कहा जाता है ?
गणगौर के अंतिम दिन को वोकावणी/बोकावणी कहा जाता है। वोकावणी राजस्थानी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ गणगौर से संबंधित ही है।
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गणगौर का त्योहार कितने दिन मनाया जाता है ?
चैत्र शुक्ल तृतीया से लेकर 16 से 18 दिन तक गणगौर का त्योहार मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान कुंवारी कन्या व्रत रखती है।
गणगौर के अंतिम दिन महिलाएं कौन सा नृत्य करती हैं ?
गणगौर का त्योहार राजस्थान के अंदर मुख्य रूप से मनाया जाता है इस त्यौहार के अंतिम दिन महिलाएं घूमर तथा घुड़ला नृत्य करती है।
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