लोक देवता देवनारायण जी का जीवन परिचय 2024 , devnarayan ji biography in Hindi
लोक देवता देवनारायण जी का जीवन परिचय 2024 , devnarayan ji biography in Hindi , देवनारायण जी का जन्म कब और कहां हुआ ? , देवनारायण जी के माता-पिता का क्या नाम था ? , देवनारायण जी के उपनाम।
लोक देवता देवनारायण जी का जीवन परिचय 2024 , devnarayan ji biography in Hindi
लोक देवता देवनारायण जी महाराज को गुर्जर जाति का आराध्य देवता तथा विष्णु का अवतार माना जाता है। इन्हें आयुर्वेद चिकित्सा का अच्छा ज्ञान था इसलिए इनको आयुर्वेद चिकित्सा के ज्ञाता भी कहा जाता है।
लोक देवता देवनारायण जी को राज्य क्रांति यानी कि समाज सुधार का जनक माना जाता है। इनका बचपन का नाम उदय सिंह था। देवनारायण जी के पिता सवाई भोज अपने भाइयों के साथ भिनाय के राजा दुर्जनशाल से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।
छोछु भाट ने देवनारायण जी के पिता सवाई भोज तथा उनके भाइयों की वीरता पर बगड़ावत की महाभारत कथा लिखी जिसे राजस्थान के महाभारत कहा जाता है। सवाई भोज की वीरता पर लक्ष्मी कुमारी चुंडावत ने बगड़ावत नामक पुस्तक लिखी।
लोक देवता देवनारायण जी की पत्नी का नाम पीपल दे तथा उनके घोड़े का नाम लीलागर था। छोछु भाट तथा माकड़ जी देवनारायण जी के सहयोगी थे।
देवनारायण जी का जन्म कब और कहां हुआ ?
लोक देवता देवनारायण जी का जन्म 124) ई माघ शुक्ल षष्ठी के दिन भीलवाड़ा जिले के आसींद के निकट मालासेरी नामक स्थान पर हुआ था।
देवनारायण जी के माता-पिता का क्या नाम था ?
देवनारायण जी की माता का नाम साडू खटाणी तथा पिता का नाम सवाई भोज था जो की एक महान शासक थे।
देवनारायण जी के उपनाम
उदल स्वामी , उदल भगवान , ईंटों के श्याम , देवजी तथा देवधणी के उपनाम से लोक देवता देवनारायण जी को जाना जाता है।
देवनारायण जी के प्रमुख मंदिर
- आसींद मंदिर (भीलवाड़ा)- यह मंदिर लोक देवता देवनारायण जी का मुख्य मंदिर है, जो खारी नदी के किनारे पर बना हुआ है। इस मंदिर में माघ शुक्ल षष्ठी व सप्तमी को मेला लगता है। आसींद के निकट गोठा दड़ावता नामक स्थान पर देवनारायण जी का प्राचीन मंदिर है।
- सवाई भोज मंदिर- देवनारायण जी के पिता की स्मृति में इस मंदिर का निर्माण भीलवाड़ा जिले के आसींद नामक स्थान पर हुआ है।
- देवमाली मंदिर- यह मंदिर अजमेर जिले के ब्यावर नामक स्थान पर बना हुआ है। इस स्थान पर भाद्रपद शुक्ल सप्तमी के दिन लोक देवता देवनारायण जी ने देह त्याग किया था। यहां पर प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल सप्तमी के दिन मेले का आयोजन होता है।
- देव धाम मंदिर- यह मंदिर टोंक जिले के जोधपुरिया गांव में बना हुआ है।
- देव डूंगरी मंदिर- लोक देवता देवनारायण जी कि इस मंदिर का निर्माण राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में राणा सांगा ने करवाया था। क्योंकि राणा सांगा लोक देवता देवनारायण जी को अपना आराध्य देव मानते हैं।
देवनारायण जी की फड़/पड़
देवनारायण जी की फड़ का वाचन बगड़ावत गुर्जर भौपे जंतर वाद्य यंत्र के साथ करते हैं। यह राजस्थान की सबसे प्राचीनतम तथा सबसे लंबी फड़ है। इस फड़ में कुल 335 गीत , 1200 पृष्ठ तथा 1500 पंक्तियां हैं।
देवनारायण जी की फड़ में उनके घोड़े का रंग हरा दर्शाया गया है तथा इस फड़ का निर्माण श्री लाल जोशी द्वारा किया गया था। लोक देवता देवनारायण जी पर 2 सितंबर 1992 को भारत सरकार द्वारा ₹5 का डाक टिकट जारी किया गया था।
Note- वर्ष 2011 में भी एक बार पुनः भारत सरकार द्वारा देवनारायण जी की जीवन पर ₹5 का डाक टिकट जारी हुआ था।
Note- लोक देवता देवनारायण जी ने अपने पिता की हत्या का बदला भिनाय (अजमेर) के शासन दुर्जनशाल को पराजित कर तथा उनकी हत्या करके लिया था
Note- लोक देवता देवनारायण जी को नीम तथा गाय के गोबर का औषधीय महत्व ज्ञान था।