चारण जाति के लोग रक्षाबंधन कब मनाते हैं ?
चारण जाति के लोग रक्षाबंधन कब मनाते हैं ? तथा चारण जाति के लोग रक्षाबधन श्रावण पूर्णिमा को क्यों नहीं मनाते हैं ? माहेश्वरी समाज के लोग रक्षाबंधन कब मनाते हैं ?
चारण जाति के लोग रक्षाबंधन कब मनाते हैं ?
चारण जाति के लोग रक्षाबंधन हिंदू धर्म के भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकम तिथि को मनाते हैं। चारण जाति रक्षाबंधन का पर्व कई सदियों पूर्व से ही भाद्रपद कृष्ण एकम तिथि को मनाती आ रही है। हिंदू धर्म में यही एक जाती है जो कि श्रावण पूर्णिमा को रक्षाबंधन नहीं मनाती बल्कि भाद्रपद कृष्ण ने एकम को मनाती है।
भाद्रपद कृष्ण के दिन चारण जाति के लोग अपनी बहनों को विशेष प्रकार का दान भी करते हैं और उनका साथ जीवन भर निभाने का वचन भी देते हैं।
इस जाति के लोग रक्षा सूत्र के तौर पर अपने हाथ पर अपनी बहन से मौली का धागा बंधवाते हैं और उसके पश्चात वहीं को दक्षिणा स्वरूप कुछ ना कुछ कीमती वस्तु भेंट करते हैं।
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चारण जाति के लोग रक्षाबधन श्रावण पूर्णिमा को क्यों नहीं मनाते हैं ?
एक प्राचीन कथा के अनुसार चारण जाति की कुलदेवी थी जिनका पुत्र लक्ष्मण था उसका निधन श्रावण पूर्णिमा के दिन किसी नदी के अंदर डूब जाने से हो जाता है जिस कारण चारण जाति के लोग अपनी कुलदेवी के पुत्र के शोक के रूप में श्रावण पूर्णिमा को मनाते हैं तथा इस दिन रक्षाबंधन का त्योहार इस जाति के लोग नहीं मनाते हैं।
माहेश्वरी समाज के लोग रक्षाबंधन कब मनाते हैं ?
माहेश्वरी समाज के लोग अपना रक्षाबंधन हिंदू धर्म के भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाते हैं। इस दिन इस समाज में रक्षाबंधन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
जैन समाज के अधिकांश समुदाय अपना रक्षाबंधन भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन ही मनाते हैं।