विवाह दिन में करें या रात में ? Vivah Din me kre ya raat me
आज के आर्टिकल में हम जानेंगे विवाह कब करना चाहिए ? , दिन को करना चाहिए या रात को ?
वैसे तो आप जानते ही होंगे कि हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम के लिए पहले मुहूर्त देखा जाता है एवं शुभ योग एवं शुभ नक्षत्र में किसी भी शुभ कार्य को शुरू किया जाता है। इसी तरह विवाह को दो आत्माओं का पवित्र बंधन माना जाता है एवं विवाह करने के समय भी शुभ मुहूर्त के अनुसार विवाह किया जाता है , एवं ऐसे में शुभ विवाह करते समय दिन या रात का कोई खास महत्व नहीं रहता, बल्कि दूल्हे एवं दुल्हन के नक्षत्र एवं नाम के आधार पर शुभ मुहूर्त देखकर विवाह किया जाता है ।
इसलिए दिन एवं रात की कुछ खास वैल्यू नहीं रह जाती एवं अगर आप सोच रहे हैं कि रात को विवाह करना शुभ माना जाता है तो ऐसा भी नहीं है , एवं भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग समय विभाग करने का रिवाज माना जाता है कई जगहों पर शाम के समय विवाह का आयोजन किया जाता है यानी कि फेरे लिए जाते हैं , तो कई जगहों पर देर रात फेरे लिए जाते हैं एवं विवाह का कार्य संपन्न किया जाता है।
वहीं कुछ जगहों पर सुबह या फिर सूर्य उदय के समय शादी के फेरे लिए जाते हैं एवं विवाह किया जाता हैं। इन सभी रीति-रिवाजों को देखते हुए एवं उपयोग को देखते हुए पंडित विवाह का समय निश्चित करता है एवं निश्चित समय पर विवाह की विभिन्न रस्मों को निभाई जाती है , एवं खुशी पूर्वक विवाह के कार्य को संपन्न कर दिया जाता है।
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