सुखी जीवन का मूल मंत्र क्या है | sukhi jivan ka mul mantra kya hai
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सुखी जीवन का मूल मंत्र क्या है | sukhi jivan ka mul mantra kya hai
वास्तु शास्त्र के आधार पर सुखी जीवन जीने का मूल मंत्र है की प्रत्येक मनुष्य को संसार में जीवन जीने का अधिकार है और ईश्वर ने मनुष्य में सोचने तथा समझने की क्षमता विकसित की है इसलिए ईर्ष्या को त्यागना तथा प्रेम को अपनाना ही सुखी जीवन का मूल मंत्र है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति दक्षिण दिशा की ओर अपना सिर करके सोता है उस व्यक्ति का जीवन भी सुखी व्यतीत होता है तथा आयु में भी वृद्धि होती है।
अपने साथ सदैव रहने वाले तथा घर पर आने जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान करना भी हमें सुखी जीवन जीने का एक तरीका सिखाता है।
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घर की हर वस्तु को सुव्यवस्थित तरीके से तथा उचित स्थान पर रखना भी सुखी जीवन जीने तथा हमारे अनुशासन को परिभाषित करता है इसलिए सुखी जीवन जीने के लिए यह भी एक उपयुक्त उपाय।
सुखी जीवन जीने का एक मूल मंत्र यह भी है कि हमेशा अपने कार्य को स्वयं द्वारा ही किया जाना चाहिए ना की किसी और के भरोसे आप कार्य को अधूरा छोड़ दे।
समय पर अपना कार्य पूरा करना , अपने कार्य को किसी अन्य के भरोसे नहीं छोड़ना, दूसरों को देखकर जलन नहीं करना तथा हमेशा प्रसन्न रहना ही सुखी जीवन का मूल मंत्र है।
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ईश्वर में विश्वास रखना , प्रकृति द्वारा हमें दिए गए सभी संसाधनों से संतुष्ट रहना , फालतू के बाद विवाद को नजरअंदाज करना , जीवो के प्रति दया रखना भी सुखी जीवन का ही एक विशेष मूल मंत्र है।