राजस्थान में आरएलपी (RLP), क्या पंजाब में आप (APP) की तरह परिणाम दे पाएगी ?
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके हैं लेकिन पंजाब के चुनाव बेहद रोचक रहे, यहां पर आम आदमी पार्टी ने कई बड़े-बड़े नेताओं को धूल चटा दी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू सहित पूर्व मुख्यमंत्री रहे चरणजीत सिंह चन्नी दो जगह से विधानसभा चुनाव लड़े थे। लेकिन हार गए।
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी चुनाव हार गए , इधर बादल परिवार से चुनाव लड़ रहे सभी नेता चुनाव हार गए । इन चुनाव नतीजों को देखकर राजस्थान में भी बड़ पार्टियों की नींद उड़ गई, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा को कांग्रेस की लड़ाई में कोई तीसरी पार्टी उभरकर सत्ता तक पहुंच पाएगी।
वर्तमान के हालात देखे जाएं तो राजस्थान में तीसरी पार्टी के रूप में उभरने वाली पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी हो सकती है , वहीं 2018 के विधानसभा चुनावों में बसपा ने भी 7 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी , और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी 3 विधानसभा सीटें जीत पाई थी , लेकिन बसपा के सभी विधायक का वर्तमान में कांग्रेस में शामिल हो गए है ।
लेकिन पंजाब के चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी भी राजस्थान में प्रवेश करना चाहेगी , अगर वाकई में राजस्थान में कई छोटी-छोटी पार्टियां चुनाव लड़ती है तो बड़ी पार्टियों को जरूर नुकसान होगा , राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को भी आम आदमी पार्टी के राजस्थान में प्रवेश करने से नुकसान हो सकता है , क्योंकि राजस्थान में आज तक तीसरी पार्टी का वर्चस्व नहीं है । लेकिन वर्तमान में कांग्रेस व भाजपा दोनों में आपसी गुट बने हुए हैं एवं इन गुटबाजी के चलते अगर भाजपा या कांग्रेस कोई दिग्गज नेताओं की टिकट काट देती है , तो उन नेताओं के राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी में शामिल होने की संभावना ज्यादा रहती है।
लेकिन अगर तीसरी पार्टी के रूप में राजस्थान में बहुत सारी पार्टियां आ जाएगी तो कांग्रेस भाजपा से रूठे नेता राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अलावा अन्य पार्टियों में भी शामिल हो सकते हैं । वर्तमान स्थिति में देखा जाए तो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी इतनी मजबूत नहीं है कि राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा को गठबंधन के लिए भी मजबूर कर सके ।
क्योंकि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल 2018 से पहले जितने सक्रिय नजर आते थे , फिलहाल इतने सक्रिय नजर नहीं आ रहे है ।
संभावना है कि राजस्थान में भी आम आदमी पार्टी अपनी एंट्री एक रूपरेखा के अनुसार इसी साल जून या जुलाई माह तक प्रवेश कर सकती है।
बहुजन समाजवादी पार्टी को भी राजस्थान में काफी अच्छा वोट बैंक मिला है और समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में बुरी तरह से हार चुकी है , तो संभावना है कि मायावती भी अपने डेरे राजस्थान में डाल सकती है ।
इसके अलावा अलाउद्दीन ओवैसी और भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर भी अपने वोट बटोरने की कोशिश करेंगे , लेकिन इन दोनों का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
जानकार सूत्रों के अनुसार आरएलपी व असरूउद्दीन ओवैसी गठबंधन भी कर सकते हैं। लेकिन इस पर अधिकारिक तौर से मुहर नहीं लगी है।
इधर कांग्रेस में भी सचिन पायलट व अशोक गहलोत अभी तक नाराज चल रहे हैं , राहुल गांधी के सामने यह सबसे बड़ी समस्या होगी क्योंकि पंजाब में कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर को मुख्यमंत्री से हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को नया मुख्यमंत्री बनाया था , चरणजीत सिंह चन्नी अपना कोई प्रभाव नहीं जमा पाए , और चरणजीत सिंह चन्नी हार गए , लेकिन कैप्टन अमरिंदर भी चुनाव तो हार गए हैं।
राजस्थान में अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाता है , तो जाहिर है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिर जाएगी , लेकिन अगर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो जाहिर है कि सचिन पायलट भी कांग्रेस छोड़ देंगे , सचिन पायलट को कांग्रेस में एक युवा नेता के तौर पर पहचान है।
अब देखना यह होगा कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव तक राजनीति में कितना बदलाव आता है ?
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