आयड़ माता का जीवन परिचय 2024 | आवड़ माता | आईनाथ | कहानी | इतिहास
आयड़ माता का जीवन परिचय 2024 | आवड़ माता | आईनाथ | कहानी | इतिहास , आवड़ माता का जन्म कब और कहां हुआ ? , आयड़़ माता के माता-पिता का क्या नाम है ? , आयड़़ माता का मंदिर कहां है ?

आयड़ माता का जीवन परिचय 2024 | आवड़ माता | आईनाथ | कहानी | इतिहास
लोक देवी आयड़/आवड़ माता को देवी हिंगलाज माता का अवतार माना जाता है। यह चारण जाति की कुलदेवी है। तथा चारण जाति आवड़ माता और उनकी सात बहनों को शक्तियों के रूप में पूजती है।
जनमानस में आवड़/आयड़ माता को शगुन चिड़िया के रूप में पूजा जाता है और माता के कुल 52 चमत्कार , 52 नाम , 52 धाम तथा 52 ओरण प्रसिद्ध है। आवड़ माता द्वारा सिंध क्षेत्र में हाकरा नदी के जल को सोखनें का चमत्कार विश्व भर में प्रसिद्ध है। जैसलमेर के भाटी राजवंश पर आवड़ माता का आशीर्वाद रहा है।
आवड़ माता के संदर्भ में प्रचलित कहावत-
आवड़ तूठी भाटियां, कामेही गोड़ा।
बिरवड़ी तुठी सिसोदिया, करणी राठौड़ा।।
आवड़ माता का जन्म कब और कहां हुआ ?
लोक देवी अवाड़ माता का जन्म विक्रम संवत 808 में बाड़मेर जिले के चलकाणू नामक स्थान पर हुआ।
आयड़़ माता के माता-पिता का क्या नाम है ?
आयड़ माता की माता का नाम मोहवती तथा पिता का नाम मामड़ जी चारण था।
आयड़़ माता का मंदिर कहां है ?
आयड़ माता का प्रमुख मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है।
आवड़ माता के प्रमुख मंदिर
तनोट माता मंदिर-
यह मंदिर जैसलमेर जिले के तनोट नामक स्थान पर स्थित है। तनोट माता को युद्ध की देवी, सैनिकों की देवी, थार की वैष्णो देवी, बीएसएफ जवानों की देवी, सीमा सुरक्षा की देवी तथा रूमाली देवी कहा जाता है।
भाटी शासक तणुराव ने विक्रम संवत 888 को तनोट नगर बसाया तथा तनोट को राजधानी बनाया। तनोट देवी 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय चमत्कारी रही थी। मंदिर के मुख्य द्वार पर भारतीय सेवा द्वारा विजय स्तंभ का निर्माण करवाया गया है। वर्तमान में इस मंदिर का रखरखाव सीमा सुरक्षा बल द्वारा किया जाता है।
घंटीयाल माता मंदिर-
यह मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है। इस स्थान पर आवड़ माता ने घटियाल नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इस मंदिर का नाम घटियाल पड़ा।
भादरिया राय माता मन्दिर-
यह मंदिर जैसलमेर जिले के पोकरण नामक स्थान पर है। इस मंदिर का निर्माण बहदरिया भाटी ने करवाया था। यहां पर संत हरिवंश निर्मल द्वारा एशिया का सबसे बड़ा भूमिगत पुस्तकालय स्थापित किया गया है।
तेमडेराय/तेमड़ाराय माता मंदिर-
यह मंदिर जैसलमेर जिले के भू गांव में है। यह मंदिर गरलावणे नामक पहाड़ी पर स्थित है। इस स्थान पर आवड़ माता ने तेमडे़ नामक राक्षस का वध किया था इसलिए यह देवी तेमडेराय कहलाई। जैसलमेर के भाटी शासक अमर सिंह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था तथा इस मंदिर का पुनर्निर्माण महारावल गजसिंह ने करवाया था। यह मंदिर चारण जाति का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है।
स्वांगिया माता मंदिर-
यह मंदिर जैसलमेर जिले में गजरूप सागर झील के किनारे बना हुआ है। इस मंदिर का निर्माणमहारावल गजसिंह ने करवाया था। इस देवी को जैसलमेर के भाटी राजवंश की कुलदेवी माना जाता है। स्वांगिया माता ने भाटी शासक विजय राज को मलेच्छों पर जीत का आशीर्वाद दिया था।
काले डुंगरराय माता मंदिर-
आवड़ माता ने सिंध से आने के पश्चात काले डुंगरराय पहाड़ी पर भक्ति की जहां देवी को काले डुंगरराय नाम से पूजा जाता है। इस मंदिर का निर्माण जवाहर सिंह भाटी ने करवाया था।
देगराय माता मंदिर-
यह मंदिर भी जैसलमेर जिले में स्थित है। इस स्थान पर आवड़ माता द्वारा भैंसे स्वरूप राक्षस का वध किया गया था। इस मंदिर में आवड़ माता तथा उनकी सात बहनों की मूर्तियां स्थापित है।