मृदा अपरदन क्या है- प्रकार, कारण
मृदा अपरदन क्या है- प्रकार, कारण और इसके निवारण यानी रोकथाम के उपाय हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे।

मृदा अपरदन क्या है-
चट्टानों का एक ही स्थान पर ही टूटना-फूटना अपक्षय कहलाता है। तथा अपक्षय से प्राप्त चट्टानी चूर्ण का एक स्थान से दूसरे स्थान पर हवा, जल तथा नदी जल के माध्यम से चले जाना मृदा अपरदन कहलाता है।
तथा जब अपक्षय एवं मृदा अपरदन दोनों क्रियाएं एक साथ होती है तो उसे अनाच्छादन कहते हैं।
राजस्थान में तीन प्रकार का अपरदन होता है-
1. परत या क्षैतिज अपरदन- ये अपरदन पवनों द्वारा होता है। राजस्थान में इसका मुख्य क्षेत्रत्र पश्चिमी मरुस्थलीय क्षेत्र है।
राजस्थान में जैसे-जैसे पश्चिम की ओर जाते हैं तो हवाओ द्वारा अपरदन बढ़ता चला जाता है जबकि पूर्व की ओर जाने पर यह घटता चला जाता है।
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राजस्थान में हवाओं द्वारा सर्वाधिक मृदा अपरदन वाला जिला जैसलमेर है जबकि सबसे कम हवाओ द्वारा मृदा अपरदन वाला जिला धौलपुर है।
2. अवनालिका या लम्बवत अपरदन- ये अपरदन नदियों द्वारा होता है तथा राजस्थान में इसका मुख्य क्षेत्र हाड़ौती का पठार एवं पूर्वी मैदान है।
राजस्थान में सर्वाधिक अवनालिका अपरदन करने वाली नदी चंबल है चंबल नदी द्वारा सर्वाधिक मिट्टी का कटाव कोटा जिले में किया जाता है।
3. चादरी अपरदन- ये अपरदन वर्षा जल द्वारा होता है। वर्षा जल उच्च प्रदेशों से मिट्टी को बहाकर नीचे की ओर ले जाता है।
राजस्थान में सर्वाधिक चादरी अपरदन भौमट क्षेत्र में होता है। तथा राजस्थान में चादरी अपरदन सर्वाधिक सिरोही तथा राजसमंद जिले में होता है।
मृदा अपरदन के प्रमुख कारण-
- खेतों में मेड़बंदी नहीं करने के कारण
- अनियंत्रित पशु चारण के कारण
- वनों के विनाश तथा कटाव के कारण
- सूखा एवं अकाल पड़ने के कारण
- चारागाह भूमि का विकास नहीं होने के कारण
- ईंधन के लिए लकड़ी की कटाई के कारण
- मरुस्थलीकरण के कारण