भारत की उभरती मुक्केबाज प्रीती दहिया की दास्तां- The story of India’s rising boxer Preeti Dahiya
आज इस आर्टिकल में हम बताएंगे भारत की उभरती मुक्केबाज प्रीती दहिया की दास्तां, मुक्केबाज प्रीती दहिया का जन्म कब तथा कहां हुआ? तथा उनसे जुड़ी संपूर्ण जानकारी हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से देंगे।

हरियाणा के किसान परिवार के छोटे से गांव में जन्मी प्रीति दहिया भारत की उम्दा मुक्केबाज बन कर उभरी है। वर्ष 2004 में जन्मी मुक्केबाज प्रीति दाहिया पहले एक कबड्डी खिलाड़ी हुआ करती थी। लेकिन अपने पिता के इरादे पर प्रीती ने 12 वर्ष की आयु में कबड्डी को छोड़ दी।
और मुक्केबाजी खेलना शुरू कर दिया। 2018 में अखिल भारतीय स्कूल चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने के बाद प्रीति दहिया ने मुड़कर नहीं देखा और एशियाई जूनियर मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2019 में गोल्ड मेडल जीतने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनी।
जो एक विश्व रिकॉर्ड भी है। इसके बाद, एशियाई युवा चैम्पियनशिप 2021 सहित, 9 विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीता। एशियाई जूनियर चैंपियनशिप 201 9 में स्वर्ण पदक जीतने के बाद प्रीति अब तक किसी भी मैच में नहीं हारी है।
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पिछले साल कोरोना काल के दौरान अपने पिता की मृत्यु के बावजूद भी प्रीति ने अपना संयम नहीं खोया और खेलों इंडिया के 2022 में 60 किग्रा वजन वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर अपने पिता को समर्पित किया।
मुक्केबाज प्रीति दहिया ने हमारे संवाददाता से विशेष बातचीत करते हुए कहा कि वे ओलोम्पिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली देश की पहली महिला बॉक्सर बनना चाहती है। तथा उनकी सफलता के बारे में बात करते हुए प्रीति ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ उद्देश्य होना चाहिए। केवल एक ही लक्ष्य है, जो हमें हमारे सपनों के लिए ले जा सकता है और हमें एक अलग पहचान दे सकता है। एक व्यक्ति जो कोई सपने नहीं है, कोई लक्ष्य नहीं है, जीवन में कुछ भी नहीं कर सकता।
ऐसे लोगों को अक्सर यह कहने में सुना जाता है कि हमारी किस्मत हमारे साथ नहीं है अगर हम कड़ी मेहनत नहीं करते हैं, तो हम परिणाम कहां से प्राप्त करेंगे? यही कारण है कि भगवान ने भी गीता में कहा है जो काम करते रहते हैं वो परिणामों की इच्छा नहीं करते ।
उन्होंने आगे कहा कि अगर देखा जाए तो आप हर व्यक्ति से सुनेंगे कि हमारा लक्ष्य यह है हम यह बनना चाहते हैं। कुछ लोग डॉक्टर बनना चाहते हैं, कुछ लोग इंजीनियर बनना चाहते हैं, कुछ लोग बच्चों को पढ़ाने में रुचि रखते हैं, इसलिए वे शिक्षक बनना चाहते हैं, कुछ लोग अभिनेताओं बनना चाहते हैं, तो जबकि कुछ लोग नेताओं बनना चाहते हैं।
साथ ही मुक्केबाज प्रीती दहिया ने कहा कि मैंने तो कबड्डी के खिलाड़ी के रूप में अपना कैरियर देखा था लेकिन अपने पिता की सलाह पर मुक्केबाजी को चुना था।
यह थी मुक्केबाज प्रीती दहिया के संघर्ष की कहानी आपको कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।